दो यूनिवर्सिटी की वैकेंसी पर मोदी सरकार के दो मंत्री आमने-सामने

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्री इस बार आरक्षण के मुद्दे पर आमने-सामने हैं। इसकी वजह दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा निकाली गई हालिया वैकेंसी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की रोक के बावजूद हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय और राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय ने यूनिवर्सिटी टीचर के लिए भर्ती विज्ञापन निकाला है।
दोनों यूनिवर्सिटी में कुल 85 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है और इनमें विभागवार 13 प्वाइंट रोस्टर लागू किया गया है। इस वजह से एक भी पद आरक्षित समुदाय को आवंटित नहीं किया गया है। बता दें कि यूजीसी ने जुलाई 2018 में सभी उच्चतर शिक्षण संस्थानों में अगले आदेश तक वैकेंसी पर रोक लगा दी थी।
इस बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से इस बावत नाराजगी जाहिर की है। गहलोत ने कहा है कि यूनिवर्सिटी द्वारा निकाली गई भर्ती से आरक्षित वर्ग को नुकसान हुआ है। दरअसल, यूजीसी ने विभागवार भर्ती को लेकर मार्च 2018 में एक गाइडलाइन जारी किया था, तभी गहलोत ने जावड़ेकर से यह आशंका जाहिर की थी कि इससे आरक्षित समूह की सीटें प्रभावित होंगी।
इसके बाद एचआरडी मिनिस्ट्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) दायर किया गया और यूजीसी द्वारा भर्तियों पर रोक लगा दी गई। अब थावरचंद गहलोत की आपत्ति को देखते हुए एचआरडी मिनिस्ट्री कानून मंत्रालय से सलाह-मशविरा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी को उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में विभागवार रोस्टर लागू करने के संबंध में आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इसके बाद दोनों यूनिवर्सिटी ने विभागवार वैकेंसी निकाली है। बता दें कि कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को एक इकाई न मानते हुए विभागों को एक-एक यूनिट माना है और
वहां विभागवार 13 प्वाइंट रोस्टर नियम लागू करने को कहा है। इस आदेश से रिजर्व कैटगरी के लिए एक भी पद सुरक्षित नहीं रखा जा सका है। हाल ही में आर्थिक आधार पर गरीब सामान्य वर्ग को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण का भी लाभ इस नई वैकेंसी में नहीं मिल सकेगा।
इस बीच आरक्षित समूह के बेरोजगारों के विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो चुका है। मंगलवार (29 जनवरी) को बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दिल्ली के कन्स्टीट्यूशन क्लब में इस फैसले के खिलाफ हल्ला बोला और आरोप लगाया कि
पीएम मोदी के नेतृत्व में संविधान प्रदत्त आरक्षण की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। तेजस्वी ने इस बाबत पीएम को पत्र भी लिखकर बजट सत्र में 13 प्वाइंट विभागवार रोस्टर के खिलाफ बिल लाने की गुजारिश की है। 31 जनवरी को कई संगठनों ने दिल्ली में आंदोलन की चेतावनी दी है।

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