हिंदुओं को तोड़ने के किए जा रहे षड्यंत्र: मोहन भागवत

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प्रयागराज। विश्व हिंदू परिषद की दो दिवसीय धर्म संसद शुरू हो चुकी है। इसमें सबसे पहले सबरीमाला मंदिर पर अयोध्या जैसा आंदोलन चलाने और हिंदू समाज के विघटन को रोकने की अपील का प्रस्ताव पास किया गया। धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का मामला उठाया।
मोहन भागवत ने कहा- “हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा गया है। कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया, लेकिन इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं और सम्मान आहत हुआ है। हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है। भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह बोलने वाले साथ मिलकर हमारे समाज में महिला-पुरुष में भेदभाव की बात लोगों के दिमाग में फैलाने का काम कर रहे हैं।”
भागवत ने कहा- “राजनीतिक विवाद के कारण समाज को तोड़कर वोटों की कटाई करने वाले लोग ऐसा कर रहे हैं। अयप्पा केवल केरल के हिंदुओं के भगवान नहीं हैं, यह सभी हिंदुओं के भगवान हैं। उन्होंने कहा, इस आंदोलन में पूरा हिंदू समाज शामिल है। अयप्पा के भक्त हिंदू समाज के सभी नागरिक हैं। संपूर्ण देश में हमें वस्तुस्थिति बताकर लोगों को जागरूक करना होगा। हिंदुओं के खिलाफ षडयंत्र चल रहा है।
धर्मसंसद में श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा- योगी और मोदी सरकार के रहते हुए राम मंदिर नहीं बना तो कब बनेगा? मंदिर निर्माण जल्द होना चाहिए। मोदी सरकार कोई संवैधानिक तरीका निकाले जिसके जरिए जल्द मंदिर निर्माण हो सके। रामलला टाट में बैठे हैं और यह दर्द असहनीय है।
सीएम से मुलाकात के बाद पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि योगी आदित्यनाथ उनके पास राम मंदिर के लिए समर्थन मांगने आए थे। शंकराचार्य ने अपना पक्ष मुख्यमंत्री के सामने रखा। मुख्यमंत्री ने कोर्ट का हवाला देकर कहा कि कुछ सीमाएं हैं। शंकराचार्य ने इस प्रकरण पर अब तक की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण जल्द हो।
धर्मसंसद में बाबा रामदेव ने कहा कि कुछ साधुओं को जाति के नाम पर बांटा जा रहा है, लेकिन जिसने पिंड दान कर दिया उसका कोई जाति नहीं होती है। उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोर्ट इस देश में होना चाहिए। विधानसभा से लेकर संसद भवन में पास होना चाहिए, लेकिन कुछ लोग दो कानून मानते हैं। हम दो- हमारे दो की नीति सब पर लागू होना चाहिए। अगर कोई दो बच्चों से ज्यादा बच्चा पैदा करे तो उससे वोटिंग का अधिकार छीन लेना चाहिए।
धर्म संसद में भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले भी शामिल होने पहुंचे हैं। इसमें देश के सभी हिस्सों से करीब पांच हजार संत शामिल होने आए हैं। 31 जनवरी और एक फरवरी को होने वाली धर्म संसद से राजनैतिक दलों को दूर रखा गया है। हालांकि, डिप्टी सीएम केशवप्रसाद मौर्या ने कार्यक्रम में पहुंचकर संतों से आशीर्वाद लिया। राम मंदिर से संबंधित प्रस्ताव पेश होने के बाद धर्म संसद का समापन होगा।
धर्म संसद में पहले दिन केरल के सबरीमाला मंदिर विवाद, धर्मांतरण का मुद्दा और हिंदुओं की संस्कृति पर हो रहे हमले जैसे मसलों पर मंथन होगा। दूसरे दिन यानी 1 फरवरी को राम मंदिर का मुद्दा रखा जाएगा। इस दौरान मंदिर मुद्दे पर एक प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है। मंच पर राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष कमल नयन दास, नृत्यगोपाल दास महाराज, योग गुरु बाबा रामदेव, सतपाल महाराज, आदि शंकराचार्य नित्यानंद महाराज मौजूद हैं।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने विहिप की धर्मसंसद से दूरी बनाकर रखी। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद किसी के बाप की बपौती नहीं है। विहिप और आरएसएस, भाजपा के अंग हैं। भाजपा राम मंदिर पर अपनी स्थिति साफ नहीं कर रही है। लोगों को धोखे में रखे हुए हैं। अगर शंकराचार्य स्वरूपानंद आह्वान करेंगे तो हम नागा फौज लेकर अयोध्या कूच करेंगे।
बुधवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुंचे। यहां संघ के शिविर में योगी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से एक घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की। इसमें परमधर्म संसद के धर्मादेश के संबंध में चर्चा की गई। सीएम ने संताें की नाराजगी दूर करने के प्रयास पर चर्चा की। इसके बाद योगी ने ने जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज से भी मुलाकात की।
योगी ने पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से भी मुलाकात की। इस दौरान अयोध्या में विवादित जमीन को छोड़कर मंदिर निर्माण पर साधु-संतों से चर्चा की गई। इसके बाद वह गोरखपुर के लिए रवाना हाे गए। धर्म संसद से ठीक पहले संतों और आरएसएस प्रमुख से योगी की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
कुंभनगरी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की अगुआई में बुधवार को परमधर्म संसद समाप्त हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिलान्यास किया जाएगा। इससे पहले 10 फरवरी को बसंत पंचमी से साधु-संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। इस फैसले से जुड़े धर्मादेश पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने दस्तखत किए। उनकी अध्यक्षता में ही तीन दिन परमधर्म संसद हुई थी।

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