दसॉ-रिलायंस ने शुरू किया फाल्‍कन जेट का प्रोडक्‍शन

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राफेल डील विवाद पर मचे हो-हल्ले के बीच महाराष्ट्र के नागपुर में दसॉ-रिलायंस ने फाल्कन 2000 एलएक्स एग्जिक्यूटिव जेट्स का उत्पादन शुरू कर दिया है। वहीं, फ्रांस में इन विमानों के हिस्सों को असेंबल करने का काम जारी है। प्लांट के शीर्ष अधिकारियों के हवाले से ‘ईटी’ की रिपोर्ट में कहा गया कि उत्पादन पूरा होने में लगभग तीन साल लगेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि फाल्कन 2000 एलएक्स जेट की डिलीवरी 2022 तक होगी।
हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि राफेल का कोई भी हिस्सा नासिक में नहीं बनेगा। पर भारत अगर 36 विमानों से अधिक का ऑर्डर देता है, तब उनके हिस्से यहां बनने की उम्मीद जताई जा सकती है। दसॉ-रिलायंस ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (डीआरएएल) के सीईओ संपतकुमारन एसटी ने अंग्रेजी बिजनेस साइट से बताया, “2022 की शुरुआत तक हम नागपुर में फाल्कन 2000 की असेंबलिंग का काम पूरा कर लेना चाहते हैं। हम इसे यही से उड़ते देखना चाहते हैं।”
रिपोर्ट में आगे दावा किया गया कि परिचालन के बाद प्लांट पर हर महीने में दो विमान बनाए जा सकेंगे। वैसे मौजूदा समय में उस प्लांट पर कॉकपिट और फ्यूल टैंक के हिस्सों को असलेंबल किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो, फ्रांस के प्लांट की तुलना में नागपुर में इस मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के जरिए 35 करोड़ 56 लाख 25 हजार रुपए का फायदा (सस्ती मजदूरी और उत्पादन राशि) होगा।
अधिकारियों के अनुसार, एक फाल्कन एलएक्स की कीमत 248 करोड़ रुपए है, जबकि भारत में बने इन जेट्स का दाम काफी कम होगा। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इससे प्रतिद्वंदियों को कांटे की टक्कर मिलेगी। एक बार पूरा होने के बाद यह निजी क्षेत्र की पहली एसेंबली लाइन होगी, जो भारत में व्यावसायिक जेट्स का उत्पादन करेगी। यही नहीं, इससे 650 से अधिक स्किल्ड कर्मचारियों को रोजगार भी मिलेगा।
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राफेल के हिस्से बनाने को लेकर दसॉ के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष बेनोइट दुसॉगे ने बताया, “यह आगे के ऑर्डर्स पर निर्भर करता है कि हम भारत में राफेल जेट बनाएंगे या नहीं। मौजूदा समय में सिर्फ फाल्कन के हिस्से यहां बनाने की योजना है।”

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