अंकों को पहचान सकती है मधुमक्खी, इनका आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में हो सकेगा इस्तेमाल

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मधुमक्खी जीरो को पहचान सकती है। इसे जोड़ना-घटाना और गिनती करना भी सिखाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की शोध में यह दावा किया गया है।
इसमें कहा गया है कि मधुमक्खियों का यह गुण उनके मस्तिष्क के आकार और उसकी शक्तियों के बीच सह-संम्बंध को एक कदम आगे ले जा सकता है।
  1. शोधकर्ताओं का कहना है कि गणित के सवालों को हल करने के लिए खास ब्रेन पावर की जरूरत होती है। नम्बरों का प्रबंधन, नियम और याददाश्त इसका खास हिस्सा होते हैं। शोध में सामने आया कि मधुमक्खी का छोटा सा दिमाग गणित के साधारण सवालों को समझने में सक्षम है। भविष्य में उनकी इसी खूबी का इस्तेमाल आर्टिफिशल इंटेलीजेंस में किया जा सकता है।
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    मधुमक्खियों को प्रशिक्षण देने के लिए शोधकर्ताओं ने वाय आकार की पहेली (मेज) का इस्तेमाल किया। इस दौरान जब मक्खी पहेली पर प्रदर्शित संख्याा का सही जवाब देती तो उसे मीठा शर्बत पीने को दिया जाता था। गलत जवाब देने पर उसे कुनेन का कड़वा घोल पीना पड़ता था।
  3. मधुमक्खियों के लिए न्यूट्रीशन और लर्निंग प्रोग्राम रिसर्च के दौरान मधुमक्खी बार-बार उस जगह पर ज्यादा जाती थी जहां मीठी चीजें मिलती थीं। जब मधुमक्खी पहेली के पास जाती थी तो वहां पर 1 से लेकर 5 तक के नम्बर के आकार दिखाई देते थे। नीले रंग की आकृति का मतलब जोड़ और पीले रंग की आकृति का मतलब घटाना था। शुरुआती नंबर देखने के बाद वह पहेली के दोनों तरफ जाती थी। जिसमें एक तरफ सही और दूसरी तरफ गलत जवाब था।
  4. प्रयोग कितना कारगर रहा यह चेक करने के लिए सही जवाब को बदला गया। लेकिन मधुमक्खी ने शुरुआत में गलतियां करने के बाद सही विकल्प को चुना। शोध के एक दूसरे प्रयोग में तीन रंग के आकार रखे गए इनमें एक जीरो था। जिसे मधुमक्खी ने बार-बार चुना। सात घंटे में 100 ट्रायल लिए गए। प्रयोग से मधुमक्खी ने सीखा नीले रंग का मतलब +1 और पीले रंग का मतलब -1 है। बाद में मधुमक्खी ने यही नियम संख्या पर भी लागू किया।
  5. शोध के मुताबिक, दो चरणों की प्रक्रिया में रंगों के आधार पर मधुमक्खियों को जोड़ना और घटाना सिखाया जा सकता है। गणित के सवालों को हल करने के लिए इंसान की तरह मधुमक्खी भी शॉर्ट टर्म मेमोरी का इस्तेमाल करती है। शोधकर्ता स्कारलेट हॉवर्ड का कहना है कि पहले भी बंदर, चिड़िया और मकड़ी पर हुए शोध में सामने आया है कि इनमें जोड़ने और घटाने का जवाब देने की क्षमता है।
  6. इंसान की तरह व्यवहार करता है मधुमक्खी का दिमाग
    ऑस्ट्रेलिया की शेफील्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मधुमक्खी का दिमाग काफी हद तक इंसान की तरह ही व्यवहार करता है। जिस तरह ये कॉलोनी में झुंड बनाकर रहती हैं ठीक वैसे ही इनके दिमाग में न्यूरॉन भी झुंड की तरह दिखते हैं। यह पहले सोचती हैं कि कहां छत्ता बनाना है फिर उसे तैयार करती हैं। इंसानों की तरह इनका झुंड आपस में मिल जुलकर छत्ते की जगह चुनता है।

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