वडोदरा। गुजरात में 35 साल बाद बाघ होने की पुष्टि हुई है। इससे पहले बाघ 1983 में मिला था। वन विभाग के अनुसार, महिसागर जिले के संतरामपुर के जंगल में यह बाघ देखा गया। इसके दिसंबर 2017 में मध्यप्रदेश के जंगल से यहां पर आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
राज्य के दूसरे इलाकों में कहीं और बाघ तो नहीं हैं, इसका पता लगाने के लिए एक सर्वे शुरू किया गया है। इसी के साथ गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जहां के जंगलों में शेर, बाघ और तेंदुआ मौजूद हैं।
शिक्षक महेश महेराव ने पहली बार 8 फरवरी को गढ़ गांव के रास्ते पर अपने मोबाइल से बाघ की तस्वीर खींची थी। इसके बाद वन विभाग ने इसकी जानकारी जुटानी शुरू की। वन विभाग ने इसकी जांच करने के बाद लुणावाड़ा और संतरामपुर के 59 हजार हेक्टेयर इलाके में 200 जवानों के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया था।
जंगल में पेड़ पर नाखून के निशान, फूट प्रिंट और ड्रॉपिंग मिलने के बाद हैदराबाद, गांधीनगर और देहरादून साइंस लैब की मदद ली गई। संतरामपुर के जंगल में बाघ के पैर के पंजों के निशान मिले। रात को 5 नाइट विजन कैमरा लगाए जाने के बाद बाघ, तेंदुआ और झरख के फुटेज मिले। उप वन संरक्षक आरएम परमार ने कहा कि हम गर्व से कह सकते हैं कि महिसागर जिले में बाघ है। मंगलवार को संतरामपुर के 54 गांवों में सर्वे किया गया।
-
बाघ कहां से आया : माना जा रहा है कि बाघ मध्यप्रदेश के रातापानी अभयारण्य से यहां आया है। करीब 500 किमी सफर कर बाघ के संतरामपुर आने की संभावना है।
-
सफर किस तरह से तय किया : अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे रूट पर बाघ नर्मदा नदी के किनारे-किनारे आया और इसके बाद गुजरात में प्रवेश कर संतरामपुर की ओर घुसा।
-
क्या एक ही बाघ है : फिलहाल एक ही बाघ होने के सबूत मिले हैं।
-
बाघ देखने संतरामपुर जा सकते है : नहीं, फिलहाल जंगल में घूमने के लिए प्रतिबंध है।