लड़की का रेप कर प्राइवेट पार्ट में डाल देते थे बोतल, पेशाब पिलाते और खाने में देते कॉकरोच

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वो महज 16 साल की थी और दरिंदों की गंदी नजर उसपर पड़ गई। इन शैतानों ने उसके साथ जो वहशीपना किया उसे सुनकर आप कांप उठेंगे। यह कहानी है उस नाबालिग लड़की की जो हमेशा खुशमिजाज रहती और बड़ी बेबाकी से अपनी बातें कहती थी। जापान के सातिमा प्रिफेक्चर स्थित एक हाईस्कूल में पढ़ने वाली जुंको फूरुता की खूबसूरती ही उसकी जान की दुश्मन बन गई। स्कूल में पढ़ने वाला छात्र मियानो हिरोशी इस बच्ची को एकतरफा प्यार करता था और उसे किसी तरह पाना चाहता था। स्कूल में मियानो ने कई बार उस मासूम से दोस्ती करने की कोशिश भी कि लेकिन उसने उसे मना कर दिया। मियानो स्कूल में अपनी हरकतों की वजह से काफी बदनाम भी था।
25 नवंबर 1988 को इस मासूम बच्ची को 4 नाबालिग बच्चों ने अगवा कर लिया। बच्ची को अगवा करने वालों में मियानो हिरोशी भी शामिल थे। मासूम को अगवा करने के बाद यह सब उसे टोक्यो स्थित एक घर पर लेकर गए। इन चारों ने उस वक्त मासूम बच्ची पर दबाव बनाया कि वो अपने घर पर फोन कर यह कहे कि वो अपने एक दोस्त के साथ चली गई है और अब वो उसी के साथ रहेगी। लेकिन मासूम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। करीब 44 दिनों तक इन चारों ने इस मासूम बच्ची को बंधक बनाए रखा और फिर एक दिन तड़प-तड़प कर उसने जान दे दी। इन 44 दिनों में इस मासूम ने जो कुछ भी बर्दाश्त किया वो रुह कंपा देने वाला है।
इस बच्ची को घर में ज्यादातर नि:वस्त्र रखा जाता था। कहा जाता है कि करीब 100 लोगों ने इस बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं एक ही दिन में 12 लोगों ने भी इस बच्ची के साथ रेप किया। कई लोगों ने इस मासूम बच्ची के शरीर पर पेशाब किया। दरिंदों ने इस बच्ची के प्राइवेट पार्ट में बोतल, लोहे की छड़, और ट्यूबलाइट तक डाल दिए। कहा जाता है कि उसे घर की छत से लटकाकर एक बॉक्सिंग बैग की तरह भी इस्तेमाल किया गया। उसे फ्रीजर में कई घंटों तक रखा जाता था।
सिगरेट और लाइटर से कई जगहों पर उसके शरीर को जलाया गया। बदमाशों ने उसकी जमकर पिटाई भी की थी। उसकी शरीर की कई हड्डियां टूट चुकी थीं और करीब 30 दिनों बाद वो सांस लेने, खाना खाने और अपने शरीर को हिला-डुला पाने में भी नाकाम हो गई थी। यह बदमाश उसे खाने में कॉकरोच देते थे और पेशाब पीने पर मजबूर भी करते थे।

44 दिन तक लगातार टॉर्चर सहने, पिटाई खाने और रेप सहने के बाद यह मासूम उन दरिंदों से अपने लिए मौत की भीख तक मांगने लगी थी। 4 जनवरी 1989 को बदमाशों ने उसे एक खेल Mahjong solitaire खेलने के लिए कहा। मासूम बच्ची इसमें जीत गई और फिर इस बात से गुस्साए बदमाशों ने पहले उसकी जमकर पिटाई कर दी और फिर उसके शरीर के कई हिस्सों को जला दिया। पहले से ही बुरी हालत में जी रही यह बच्ची उसी दिन हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गई। हत्यारों ने इस बच्ची के शव को ड्रम में रखकर टोक्यो के कोटो में फेंक दिया।

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