खतरे में 14 लाख कर्मचारियों के पीएफ के करोड़ों रुपए, रिटायरमेंट फंड्स का ध्यान रखने वाले ट्रस्टों का पैसा IL&FS से प्रभावित

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क्या देश के 14 लाख कर्मचारियों के पीएम के करोड़ों रुपये खतरे में हैं? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि प्रोविडेंट और पेंशन फंड से जुड़े ट्रस्ट नेशनल कंपनी लॉ अपेलेट ट्रिब्यूनल में पहुंचे हैं। इन ट्रस्टों ने लोन डिफॉल्ट का सामना कर रही इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लीजिंग एंड फायनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) में बॉन्ड्स के तौर पर ‘हजारों करोड़ रुपये’ का निवेश किया है। ट्रिब्यूनल में दाखिल याचिकाओं में ट्रस्टों ने आशंका जताई है कि वे अपनी लगाई रकम खो सकते हैं क्योंकि ये बॉन्ड अनसिक्योर्ड कर्ज के दायरे में आते हैं।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, बॉन्ड में कितनी रकम लगाई गई है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। हालांकि, इनवेस्टमेंट बैंकरों का आकलन है कि यह रकम हजारों करोड़ रुपये तक हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, एमएमटीसी, इंडियन ऑयल, सिडको, हुडको, आईडीबीआई, एसबीआई आदि जैसी
पब्लिक सेक्टर कंपनियों के कर्मचारियों के फंड का रखराव करने वाले ट्रस्टों के अलावा गुजरात और हिमाचल प्रदेश के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने ट्रिबयूनल में याचिका डाली है। इसके अलावा, प्राइवेट सेक्टर कंपनियों मसलन हिंदुस्तान यूनिलिवर और एशियन पेंट्स के पीएफ मैनेज करने वाले ट्रस्ट भी इसमें शामिल हैं।
आने वाले वक्त में ट्रस्टों की ओर से ऐसी याचिकाओं की संख्या में इजाफा हो सकता है क्योंकि अभी ऐसे आवेदन की तारीख 12 मार्च तक है। माना जा रहा है कि 14 लाख कर्मचारियों के रिटायरमंट फंड्स का ध्यान रखने वाले ट्रस्टों का पैसा IL&FS से प्रभावित है। इस बारे में जब IL&FS के प्रवक्ता शरद गोयल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि कंपनी इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी।

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