सुप्रीम कोर्ट ने असम की बीजेपी सरकार से पूछा- जनता आप पर कैसे विश्वास करेगी ? जबकि आप पैदा कर रहे हैं कन्फ्यूजन

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असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (19 फरवरी) को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य की भाजपा सरकार से पूछा कि आप कन्फ्यूजन पैदा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जनता आपके उपर कैसे विश्वास करेगी। एएनआई के अनुसार, असम सरकार द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा,
“असम एनआरसी में 40 लाख लोगों का नाम नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रथम दृष्टया वे विदेशी हैं। लेकिन ट्रीब्यूनल ने घोषणा किया है कि सिर्फ 52 हजार ही विदेशी है और सरकार ने सिर्फ 162 लोगों को वापस भेजा है।” सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, “इस स्थिति में राज्य की जनता असम सरकार पर कैसे विश्वास कर सकती है? आप कन्फ्यूजन पैदा कर रहे हैं।”
वहीं, एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि इस समय असम में छह हिरासत शिविरों में 938 व्यक्ति हैं जिनमें से 823 को न्यायाधिकरणों ने विदेशी घोषित किया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को केन्द्र ने बताया कि 27,000 से अधिक विदेशियों को भारत में गैरकानूनी तरीके से घुसपैठ के प्रयास के दौरान सीमा से वापस खदेड़ दिया गया।
केन्द्र ने शीर्ष अदालत द्वारा 28 जनवरी को पूछे गये सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार से पूछा था कि असम में कितने हिरासत शिविर चल रहे हैं और पिछले दस साल के दौरान इनमें से कितने विदेशियों को हिरासत में लिया गया।
सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार ने हलफनामों में विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 47 करोड़ रूपए आबंटित किये हैं जबकि असम ने विभिन्न सुविधाओं वाले नये हिरासत केन्द्र की इमारत के लिये भूमि उपलब्ध करायी है। यह मानवाधिकार के मुद्दे को भी ध्यान में रखेगा।
मेहता ने कहा कि नया हिरासत केन्द्र 31 अगस्त तक बन कर तैयार हो जायेगा। हालांकि, मेहता जब अपना पक्ष रख रहे थे तभी पीठ ने उन पर सवालों की बौछार कर दी। पीठ ने यह भी कहा कि न्यायाधिकरण ने 52,000 को विदेशी घोषित किया है और केन्द्र ने केवल 162 वापस भेजे हैं। पीठ ने कहा, ‘‘लोगों का असम सरकार में भरोसा कैसे होगा?’’
पीठ ने असम सरकार द्वारा तैयार की जा रही राष्ट्रीय नागरिक पंजी का जिक्र भी किया और कहा कि इसमें सिर्फ 40 लाख लोगों को ही शामिल नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि क्या इसका मतलब यह हुआ कि वे विदेशी हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि असम में गैरकानूनी प्रवासियों की समस्या 50 साल पुरानी है।
पीठ ने सवाल किया, ‘‘उन्हें वापस भेजने के लिये कोई कदम क्यों नहीं उठाये गये?’’ मेहता ने कहा कि सभी गैरकानूनी प्रवासियों को वापस जाना होगा और वह निर्देश प्राप्त करें कि इस प्रक्रिया को किस तरह तेज किया जाये। शीर्ष अदालत ने हिरासत शिविरों की स्थिति के बारे में भी केन्द्र से सवाल किया और कहा कि जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये लोग अमानवीय स्थिति में रह रहे हैं।

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