अधिकारी ने रेल मंत्री के खिलाफ लिखा हुई कार्रवाई, कहा- विरोध दबाना चाहता है बोर्ड

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रेल मंत्री के खिलाफ एक लेख लिखने और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली से जुड़े मुद्दे उठाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की रेलवे अधिकारियों की मांग के बाद आईआरपीएस अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि रेलवे बोर्ड नए विचारों और विरोध की आवाज को ‘‘निर्ममता’’ से दबाना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम हुई मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की बैठक में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) के तौर पर कुमार के कार्यकाल में कटौती और उन्हें वापस रेल मंत्रालय में वापस भेजने को मंजूरी दी गई थी।
जितेंद्र सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री हैं। इंडियन रेलवे पर्सनल र्सिवस (आईआरपीएस) के 2005 बैच के अधिकारी ने हाल ही में कार्मिक मंत्रालय को उन्हें वापस भेजे जाने के रेलवे मंत्रालय के ‘‘दुर्भावनापूर्ण और निंदनीय’’ अनुरोध के खिलाफ लिखा था। कार्मिक मंत्रालय से अनुरोध किये जाने के बावजूद उन्हें वापस उनके मूल मंत्रालय वापस भेज दिया गया।
रेल मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय को करीब एक महीने पहले लिखा था कि ‘‘आधिकारिक शिष्टाचार के उल्लंघन और कदाचार’’ के लिये उन्हें तत्काल वापस भेजा जाना चाहिए। कार्मिक मंत्रालय को भेजे अपने खत में कुमार ने कहा था कि रेल मंत्रालय के इस अनुरोध पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने खत में कहा, ‘‘रेलवे बोर्ड का कृत्य पूरी तरह पक्षपातपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और निंदनीय है। वे नए विचारों, सुझावों, विरोध के स्वर को निर्ममता से दबाना चाहते हैं।
जैसा रेलवे बोर्ड की चिट्ठी से स्पष्ट है वो बिना नियम-कायदे और तय प्रक्रिया का पालन किये मुझे सजा देने के लिए अनुकरणीय उदाहरण पेश कर खुद को सर्वोपरि दिखाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि जो लेख उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में साझा किया और जिसे बाद में वेबसाइटों ने साझा किया वह अगर बिना पक्षपात और बदले की भावना के देखी जाए तो उसमें रेल मंत्री पर किसी तरह के आक्षेप नहीं लगाए गए हैं।
रेलवे बोर्ड के तत्कालीन सचिव रंजनेश सहाय ने अपने एक पत्र में कार्मिक मंत्रालय को लिखा था कि आईआरपीएस संजीव कुमार के आधिकारिक शिष्टाचार का उल्लंघन करने का मामला रेलवे बोर्ड के संज्ञान में लाया गया है। इस लेख में भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों की बुद्धिमता पर सवाल उठाने के साथ ही रेल मंत्री (पीयूष गोयल) पर भी आक्षेप लगाए गए थे।

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