रिपोर्ट: दुनिया में 5 साल में 25 करोड़ महिला मोबाइल यूजर्स बढ़े

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भारत में 59% महिलाओं के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में यह आंकड़ा 26% कम है। मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने के मामले में यही अंतर 56% का है। लंदन की ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (जीएसएमए) की ‘मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट 2019’ में यह जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक, 2014 के बाद से अब तक दुनियाभर में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या 25 करोड़ तक बढ़ गई है।
जीएसएमए ने इस सर्वे में कम और मध्यम आय वाले 18 देशों के लोगों को शामिल किया था। इसमें सामने आया कि भारत के 59% पुरुष और 42% महिलाएं इंटरनेट को लेकर जागरूक हैं।
देश में 80% पुरुष और 59% महिलाओं के पास मोबाइल
  1. जीएसएमए की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 80% पुरुषों और 59% महिलाओं के बाद मोबाइल फोन हैं। यह अंतर 26% होता है। इसी तरह से 36% पुरुष और 16% महिलाएं मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। जबकि दुनियाभर में 80% महिलाएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं और 48% महिलाएं मोबाइल पर इंटरनेट एक्सेस करती हैं।
द.एशिया में जेंडर गैप सबसे ज्यादा, दुनियाभर में 10%
  1. रिपोर्ट के मुताबिक, मोबाइल इस्तेमाल करने के मामले में दक्षिण एशिया में जेंडर गैप सबसे ज्यादा 28% है। इस क्षेत्र में 21.9 करोड़ महिलाओं के पास न ही मोबाइल फोन हैं और न ही वे इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। जबकि ओवरऑल जेंडर गैप 10% का है और दुनियाभर की 43.3 करोड़ महिलाओं के पास मोबाइल फोन नहीं है।
  2. दक्षिण एशिया में सबसे कम जेंडर गैप चीन में है, जहां के 96% पुरुष और महिलाएं मोबाइल फोन रखती हैं जबकि 82% पुरुष और 81% महिलाएं मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करती हैं। पाकिस्तान में जेंडर गैप भारत से कहीं ज्यादा है, जहां मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले पुरुष और महिलाओं के बीच 37% का अंतर है जबकि मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने में 71% का अंतर है।
जेंडर गैप कम हुआ तो मोबाइल इंडस्ट्री को 10 लाख करोंड़ रु. का फायदा होगा
  1. जीएसएमए ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि अगर अगल 5 साल में यानी 2023 तक पुरुष और महिलाओं के बीच के अंतर को कम किया जाता है तो इससे मोबाइल इंडस्ट्री को 140 अरब डॉलर (करीब 10 लाख करोंड़ रु.) का ज्यादा फायदा हो सकता है। इसी तरह से इन देशों में जेंडर गैप कम होने से इन देशों की जीडीपी में भी 700 अरब डॉलर की बढ़ोतरी (करीब 50 लाख करोड़ रु.) हो सकती है।

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