हम अपने हिस्से का पानी रोकेंगे, जो कि अभी बहकर पाकिस्तान चला जाता है: नितिन गडकरी

0
पुलवामा आतंकी हमले के बाद से देशवासियों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है। अब गुरुवार को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक ट्वीट में जानकारी दी कि ‘भारत सरकार ने सिंधु जल संधि में अपने हिस्से का पानी रोकने का फैसला किया है, जो कि अभी तक बहकर पाकिस्तान जाता रहा है।’
गडकरी के इस ट्वीट के बाद विभिन्न न्यूज चैनल्स और खबरों में गडकरी के इस बयान को काफी प्रमुखता दी गई और पुलवामा आतंकी हमले के खिलाफ इसे भारत की ओर से बड़ी प्रतिक्रिया बताया गया। हालांकि छानबीन में पता चला कि नितिन गडकरी के इस बयान में कुछ भी नया नहीं है और भारत इससे पहले उरी हमले के वक्त भी ऐसा फैसला ले चुका है।
बता दें कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने फैसला किया है कि हम अपने हिस्से का पानी रोकेंगे, जो कि अभी बहकर पाकिस्तान चला जाता है। हम इस पानी के बहाव को मोड़कर इसकी सप्लाई जम्मू कश्मीर और पंजाब को करेंगे।’ गडकरी ने आगे लिखा कि ‘शाहपुर-कांडी (पंजाब) में रावी नदी पर बांध बनाने का काम शुरु हो गया है।
इसके साथ ही उझ प्रोजेक्ट की मदद से हम अपने हिस्से का पानी स्टोर करके जम्मू कश्मीर और बाकी पानी दूसरे रावी-ब्यास लिंक को भेजेंगे, जहां से यह पानी अन्य बेसिन राज्यों को मिलेगा। उपरोक्त सभी प्रोजेक्ट राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित किए गए हैं।’ बता दें कि उझ जम्मू कश्मीर में रावी नदी की सहायक नदी है, जिस पर सरकार बांध बना रही है।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के तहत सिंधु घाटी की पूर्वी नदियों रावी, सतलुज और ब्यास का पूरा पानी भारत को मिलेगा। वहीं पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी बिना किसी गतिरोध के पाकिस्तान को मिलेगा। अब चूंकि भारत, पाकिस्तान के मुकाबले ऊंची जगह पर है, ऐसे में रावी, सतलुज और ब्यास का इस्तेमाल नहीं हुआ पानी भी बहकर पाकिस्तान चला जाता है। लेकिन गडकरी के ताजा ट्वीट में जानकारी दी है कि अब भारत इन तीनों नदियों के बचे हुए पानी को मोड़कर जम्मू कश्मीर और पंजाब को देगा।
टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, वाटर रिसोर्स, नदी विकास और गंगा पुनर्उत्थान प्रोजेक्ट की एडीजी नीता प्रसाद का गडकरी के बयान पर कहना है कि ‘यह कोई नया फैसला नहीं है, यह सिर्फ पहले जो कहा गया है कि उसकी पुनरावृत्ति है।’ उरी हमल के बाद साल 2016 में भी भारत सरकार ने ऐसा ही फैसला किया था। जिसके लिए भारत सरकार ने बांध बनाने का काम शुरु कर दिया है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More