पाकिस्तान ने बहावलपुर में जैश के हेडक्वार्टर, मदरसा और मस्जिद को कब्जे में लिया

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इस्लामाबाद। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर, एक मदरसे और मस्जिद को कब्जे में ले लिया। यहीं मसूद अजहर का ठिकाना है।
गुरुवार को भी प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत पर प्रतिबंध लगाया था। इससे पहले पाकिस्तान की सेना ने आतंकी हमले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठे तथ्य पेश किए और उल्टे भारत पर आतंकवाद के आरोप लगाए थे।
जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। इमरान खान सीआरपीएफ जवानों पर हुए इस हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीओके में 40 गांव खाली कराए गए और 127 गांवों में अलर्ट जारी किया गया है।
अमेरिका ने जमात को आतंकी संगठन घोषित किया था
जमात-उद-दावा लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फलाह-ए-इंसानियत नाम के संगठन के जरिए फंड इकट्ठा करता है। दोनों संगठनों के पाकिस्तान में 50,000 से ज्यादा सदस्य हैं। जमात-उद-दावा के नेटवर्क में 300 से ज्यादा मदरसे हैं। अमेरिका ने जून 2014 में जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोषित किया था। इसका सरगना हाफिज सईद वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है।
पाक आर्मी के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, “किसी वाकये के फौरन बाद भारत फौरी तौर पर पाक पर आरोप लगा देता है। हमने इस बार जवाब देने के लिए थोड़ा वक्त लिया, क्योंकि जो आरोप लगाए गए थे, हमने उनकी जांच की। 1947 में पाकिस्तान आजाद हुआ। इस हकीकत को भारत कभी कबूल नहीं पाया। 1965 में हमारे बीच पहली बार युद्ध हुआ। 1971 में मुक्तिवाहनी के जरिए साजिश से हमें हटाया गया। 1999 में वे कारगिल ले आए।”
‘कश्मीरियों पर जुल्म हो रहे’
गफूर ने कहा, “भारत आज तक यह कबूल नहीं कर पाया कि पाकिस्तान आजाद हो चुका है। 1947 से कश्मीरियों पर जुल्म हो रहे हैं। भारत हमारे देश में दहशतगर्दी कर रहा है। हमारी पूर्वी सरहद पर भारत बार-बार आक्रामकता दिखाता है। 2008 में हम जब दहशतगर्दी के खिलाफ जंग लड़ रहे थे, तब एक बार फिर भारत सरहद पर अपनी फौज को ले आया। भारत की दहशतगर्दी का सबूत कुलभूषण यादव के रूप में मौजूद है। पाकिस्तान हमेशा अमन की बात करता रहा है। एलओसी पर सीजफायर भी हमने कायम रखा है। 2001 पर भारतीय संसद पर हमला हुआ, उस समय भी भारत में चुनाव होने थे।”
पाक आर्मी के मुताबिक, “फरवरी-मार्च में पाकिस्तान में आठ जरूरी इवेंट्स हैं। सऊदी क्राउन प्रिंस का दौरा था। संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद पर चर्चा होनी थी। अफगानिस्तान में शांति वार्ता हो रही थी। कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर अहम सुनवाई होनी थी। करतारपुर कॉरिडोर पर बात होनी थी और पाकिस्तान सुपरलीग चल रही थी। वहीं, भारत में चुनाव का माहौल चल रहा है। पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने की कोशिश हो रही है, लेकिन दूसरे देशों के प्रमुख हमारे यहां आ रहे हैं। नियंत्रण रेखा पर भारत की कई स्तरीय सुरक्षा है। फिर ये कैसे हुआ कि भारत में कोई एलओसी क्रॉस करके घुसा। आप अपने सुरक्षा बलों से पूछें कि कैसे घुसपैठ हो रही है?”
‘कुलभूषणों को हमारे यहां न भेजें’
गफूर ने कहा, “भारत में पहले भी कई लोगों ने इस किस्म के हमले का अंदाजा लगाया था। यह मुमकिनात उनकी सोशल मीडिया पर आई थीं। यह भी देख लें कि उस हमले में कश्मीर में जो मौतें हुई हैं, उनकी क्लास कंपोजिशन क्या है। पुलवामा में जब आदिल का जनाजा हुआ तो कई लोगों ने उसमें शिरकत की। आप दुनिया की सबसे बड़ी जम्हूरियत हैं। दो जम्हूरियतों के बीच कभी जंग नहीं होती। आप एक सेक्युलर मुल्क हैं, लेकिन जो कश्मीरी लोगों के साथ वहां हो रहा है वो ठीक नहीं है। आप अमन चाहते हैं, तरक्की चाहते हैं तो कुलभूषणों को हमारे यहां न भेजें।”

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