बंटवारे में भारत आए सिंधी ने खोली थी कराची बेकरी, भीड़ के दबाव में ‘कराची’ पर डालना पड़ा पर्दा

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पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान विरोधी लहर पूरे उफान पर है। लोग जगह-जगह पाकिस्तान और आतंकी संगठनों के खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं। इस दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है। भारत सरकार ने भी कड़े कदम उठाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कई व्यापारिक पाबंदियां लगा दी हैं।
लेकिन लोगों के इस गुस्से का शिकार बेंगलुरु की एक प्रसिद्ध बेकरी भी हो गई है। दरअसल इस बेकरी का नाम ‘कराची बेकरी’ है। कराची पाकिस्तान के शहर का नाम है। जिस पर लोगों को आपत्ति है और कुछ लोगों द्वारा इस बेकरी को बंद किए जाने की मांग की जा रही है।
दरअसल साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त भारत आए एक सिंधी खानचंद रामनामी ने साल 1952 में इस बेकरी की शुरुआत की थी। चूंकि खानचंद रामनामी पाकिस्तान के कराची शहर से पलायन करके हैदराबाद पहुंचे थे। इसलिए उन्होंने अपने बेकरी का नाम कराची बेकरी रखा।
इसके बाद से अब तक यह बेकरी अपने बिस्किट और अन्य प्रोडक्ट्स के लिए काफी प्रसिद्ध हो चुकी है। हालांकि पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान विरोधी लहर चल रही है। जिसकी चपेट में यह कराची बेकरी भी आ गई है।

शुक्रवार को बेकरी की बेंगलुरु के इंदिरानगर स्थित शाखा पर कुछ लोग पहुंचे और दुकान से कराची नाम वाला साइनबोर्ड हटाने को कहा। हालांकि बाद साइनबोर्ड पर लिखा कराची नाम एक कपड़े से ढकने के बाद ही लोगों की भीड़ शांत हुई। इसके साथ ही दुकान के साइनबोर्ड के ऊपर भारतीय झंडा भी लगा दिया गया।

Scroll.in की एक खबर के अनुसार, बेंगलुरु पुलिस ने भी इस घटना की पुष्टि की है। वहीं कराची बेकरी की अन्य शाखाओं को भी कराची नाम के चलते धमकियां मिल रही हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स भी इस मुद्दे पर खूब कमेंट कर रहे हैं और कराची नाम पर आपत्ति करने वाले लोगों को ट्रोल कर रहे हैं।

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