हनोई। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच 27-28 फरवरी को वियतनाम में दूसरी मुलाकात होनी है। बताया जा रहा है कि किम वियतनाम ट्रेन से पहुंचेंगे। इसके जरिए वे करीब 2700 किमी का सफर तय करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किम ट्रेन से रवाना हो चुके हैं। ट्रेन अराइवल को लेकर वियतनाम के अफसर तैयारियों में जुट गए हैं। दोनों नेताओं के बीच पिछले साल जून में सिंगापुर में मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के लिए किम चीन के प्लेन से आए थे।
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चीन का शहर डानडोंग उत्तर कोरिया की सीमा से सटा है। माना जा रहा है कि वियतनाम जाते वक्त किम चीन से होकर गुजरेंगे। एक ब्रिज से किम की ट्रेन गुजरेगी। इसके सामने मौजूद होटल में रुके गेस्ट्स को चैक आउट करने के लिए कहा गया है।
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यालू नदी चीन और उत्तर कोरिया की सीमा बनाती है। इसके पास बने झोंगलियान होटल को भी बंद कर दिया गया है। हनोई के अफसरों का कहना है कि हम उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल के 25 फरवरी को देर शाम आने को लेकर तैयारी कर रहे हैं। ट्रेन का आगमन डोंग डांग के स्टेशन पर होगा। डोंग डांग चीन सीमा पर स्थित है। किम कार से हनोई आएंगे।
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किम के डोंग डांग आने को लेकर वियतनाम प्रशासन चाक-चौबंद सुरक्षा में जुट गया है। रोड डिपार्टमेंट ने डोंग डांग में स्टेशन तक जाने वाली सड़कों पर बड़े ट्रकों का आना प्रतिबंधित कर दिया है। 26 फरवरी को इलाके की 170 किमी की सड़कें सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक बंद रहेंगी।
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उधर, किम का विदेश दौरा हमेशा की तरह सीक्रेट रखा गया है। लोगों को प्योंगयांग पहुंचने के बाद ही सूचना दी जाएगी। वियतनाम और उत्तर कोरियाई सूत्रों का कहना है कि किम कुआंग निन्ह और बाक निन्ह प्रांत भी जाएंगे। यहां कई फैक्ट्रियां हैं। बाक निन्ह में सैमसंग की फैक्ट्री है।
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किम के हनोई के मेलिया होटल में रुकने की संभावना है। यह सरकारी गेस्टहाउस से ज्यादा दूर नहीं है। सरकारी गेस्टहाउस में ट्रम्प-किम की मुलाकात होने की संभावना है।
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प्लेन के सफर से किम के पिता को से डर लगता था
किम के पिता किम जोंग-इल और उनके दादा किम इल-सुंग भी ट्रेन से चीन गए थे। ट्रेन की रफ्तार काफी धीमी थी। उसमें सफर करने वालों के लिए शराब, झींगा और पोर्क का इंतजाम था। किम जोंग इल ट्रेन से ही सफर करते थे, क्योंकि उन्हें फ्लाइट से सफर करने में डर लगता था।
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ट्रेन में उनके मनोरंजन के लिए कुछ महिलाएं भी होती थीं, जिन्हें ‘लेडी कंडक्टर्स’ के नाम से जाना जाता था। इस ट्रेन के साथ दो अन्य ट्रेन होती थीं। मुख्य ट्रेन में नेता होते थे। दूसरी ट्रेन एडवांस सिक्योरिटी वाली और तीसरी में एक्स्ट्रा बॉडीगार्ड और साजो-सामान होता था।
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इस ट्रेन का हर डिब्बा बुलेटप्रूफ है, लिहाजा यह काफी वजनी है। इसकी स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जाती है। रूस के अफसर कोंस्तेंतिन पुलिकोव्स्की ने 2011 में किम जोंग-इल के साथ इस ट्रेन में चीन तक का सफर किया था। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि इस ट्रेन में रूसी, चीनी, जापानी और फ्रेंच डिशेज होती थीं।