अमित शाह के सपनों को बाप-बेटी की जोड़ी कर सकती है चकनाचूर

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साल 2014 के लोकसभा चुनावों में एनडीए (बीजेपी और शिवसेना) ने महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 41 सीट पर जीत दर्ज की थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार 2019 में महाराष्ट्र से 45 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 9 फरवरी को बारामती पहुंचे शाह ने इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा और कहा, “मैं चाहता हूं कि पार्टी के कार्यकर्ता राज्य की 45 सीटें जीतकर हमें दें।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आपलोगों को बारामती भी जीतना होगा।” उसी सभा में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शायद कमल का निशान होता तो 2014 में ही हम बारामती पर कब्जा कर चुके होते। बता दें कि भाजपा की नजर इस सीट पर लंबे समय से है। 2014 में भाजपा ने अपने सहयोगी राष्ट्रीय समाज पक्ष को ये सीट दी थी, जिसकी तरफ से महादेव जनकर एनसीपी के सुप्रिया सुले से करीब 69000 वोटों से चुनाव हार गए थे।
बारामती शरद पवार का गढ़ रहा है। उन्होंने यहां से सबसे पहले 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। पवार अब तक बारामती से कुल छह बार चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार उन्होंने बड़े वोट मार्जिन से चुनाव जीता है। साल 2004 में पवार ने इस सीट से सबसे ज्यादा 4.22 लाख वोट मार्जिन से जीत दर्ज की थी। उसके बाद पवार ने साल 2009 में बेटी सुप्रिया सुले के लिए ये सीट छोड़ दी और खुद माढ़ा चले गए।
सुप्रिया ने भी 2009 में भाजपा उम्मीदवार को करीब 3.36 लाख वोटों के अंतर से हराया। स्थानीय लोगों के कहना है कि बारामती संसदीय क्षेत्र में शरद पवार की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। आलम यह है कि वो सिर्फ एक दिन भी चुनाव प्रचार कर दें तो वह जीत के लए काफी है।
शरद पवार अपना अधिकांश समय पार्टी के लिए अन्य इलाकों में देते हैं। यही वजह है कि भाजपा को लगता है कि वह पवार की गैर हाजिरी का फायदा उठा सकती है। इसके अलावा शरद पवार चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर चुके हैं, जबकि माढा के लोग उनसे मुलाकात कर फिर से चुनाव लड़ने की गुजारिश कर रहे हैं। चूंकि विपक्षी गठबंधन में प्रधानमंत्री के दावेदारों में पवार का भी नाम उठता रहा है, इसलिए उनके समर्थक चाहते हैं कि पवार फिर से माढ़ा से दो-दो हाथ करें लेकिन पवार ने मना कर दिया है।
भाजपा को लगता है कि पवार के बारामती से गैर हाजिर रहने और माढ़ा से चुनाव नहीं लड़ने की वजह से एनसीपी कैडर निराश है और इस निराशा का फायदा चुनावों में उठाया जा सकता है। संभवत: यही वजह है कि भाजपा इस बार बारामती से अपना उम्मीदवार खड़े करनी जा रही है। 2014 के रनर अप रहे जनकर को पहले ही फडणवीस मंत्रिमंडल में जगह दी जा चुकी है। लेकिन बारामती के लोगों और एनसीपी समर्थकों का कहना है कि भाजपा के लिए पवार का किला ढाहना आसान नहीं होगा क्योंकि 28 वर्षों में पवार परिवार ने वहां विकास की गंगा बहाई है।

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