सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- जब चोरी हो गए थे अहम् दस्तावेज तो आप ने क्या एक्शन लिया?

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राफेल सौदे से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार (6 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से हालिया एयर स्‍ट्राइक का जिक्र किया गया। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि ‘हाल में हमारे देश पर बम बरसाने वाले एफ-16 लड़ाकू विमानों से अपने देश की रक्षा के लिये हमें राफेल लड़ाकू विमान चाहिये। राफेल के बिना हम उनका कैसे प्रतिरोध कर सकते हैं।’
कोर्ट के सवाल पर सरकार ने बताया कि राफेल से जुड़े दस्तवेजों की रक्षा मंत्रालय से चोरी को लेकर अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। साथ ही सरकार ने ‘द हिन्दू’ समाचार पत्र को इन दस्तावेजों के आधार पर लेख प्रकाशित करने के कारण सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई की धमकी दी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई 14 मार्च तक टाल दी है। वहीं, इस मामले को लेकर विपक्ष एक बार फिर सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुकदमा चलना चाहिए।
उन्‍होंने कहा, “राफेल लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। यद्यपि 1960 के दशक वाले मिग-21 ने एफ-16 के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है। राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन उड़ान भरने लायक स्थिति में आ रहे हैं, पहला स्क्वाड्रन इस साल सितंबर में आएगा।” अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर इस मामले में अब सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए तो देश का बहुत नुकसान होगा। सीबीआई जांच करेगी और फिर अप्रूवल देगी, उसके बाद पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू होगी।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं। राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों की चोरी होने के मामले की जांच चल रही है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राफेल सौदे पर जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया है वे गोपनीय हैं और आधिकारिक गोपनीयता कानून का उल्लंघन हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल पर ‘द हिन्‍दू’ की आज की रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में सुनवाई को प्रभावित करने के समान है जो अपने आप में अदालत की अवमानना है। अटॉर्नी जनरल ने राफेल पर पुर्निवचार याचिका और गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुये कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है। राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और अदालत की अवमानना का दोषी है।

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