घाटी में शांतिपूवर्क मतदान के लिए हमारे पास रणनीति: चुनाव आयोग

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लोकसभा चुनाव में 88  करोड़ वोटर अगली लोकसभा की शक्ल-सूरत तय करने को तैयार हैं. तैयारी चुनाव आयोग की भी पूरी है।
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और उनकी टीम कश्मीर से लेकर नक्सलप्रभावित क्षेत्रों तक मतदान शांतिपूर्वक निबट जाए इसी अभियान में कमर बांधे जुटे हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स को एक इंटरव्यू देते हुए अशोक लवासा ने माना भी कि नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव कराना हमेशा ही मुश्किल होता है. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में माओवादी धमकियों के बावजूद इन राज्यों में मतदान प्रतिशत 76% तक जा पहुंचा था।
चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव में इसी प्रतिशत में बढ़ोत्तरी करना चाहता है। इसके अलावा अशांत घाटी में भी अमन चैन के साथ चुनाव हों इसके लिए लवासा पूरी रणनीति बना चुके हैं. हालांकि वो अभी इसका खुलासा करने से बच रहे हैं।
बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाओं को इतिहास बतानेवाले चुनाव आयुक्त धन के दुरूपयोग को बड़ी फिक्र मानते हैं. दूसरी तरफ वो उन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं कि चुनाव आयोग सरकारी दबाव में काम करता है. VVPAT मशीनों को लेकर ज़ाहिर की जा रही चिंताओं को भी चुनाव आयुक्त लवासा गंभीर नहीं मानते. उनका कहना है कि
5 राज्यों में 1.74 लाख मशीनों का सफलतापूर्वक इस्तेमाल हुआ था। फिर से बैलेट पेपर पर वोटिंग के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जो भी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि उनसे मिले हैं उन्होंने VVPAT मशीनों की संख्या बढ़ाने की मांग ही की है।
लवासा ने छह ऐसी घटनाओं का होना माना जब EVM और VVPAT मशीनों को निजी आवास पर पाया गया लेकिन वो कहते हैं कि इन में से किसी का भी इस्तेमाल वोटिंग के लिए नहीं हुआ था।

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