RTI: ‘स्‍वच्‍छ गंगा मिशन’, मोदी की अध्‍यक्षता में काउंसिल तो बन गयी लेकिन PM मोदी ने आज तक एक भी मीटिंग नही की

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नई दिल्‍ली। मोदी सरकार के सत्ता में आते ही गंगा और उसकी साफ-सफाई हमेशा मुद्दों में रही है। सरकार की तरफ से प्रतिबद्धता के दावे और विपक्ष की तरफ से इल्ज़ाम का दौर लगातार जारी रहा है लेकिन इसी बीच आरटीआई के हवाले से ‘द वायर’ की एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है।
आरटीआई के हवाले से सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी ‘राष्ट्रीय गंगा परिषद’ की एक भी मीटिंग नहीं हुई है, जबकि कायदे से साल में इसकी एक मीटिंग होनी थी।
2016 में बनी राष्ट्रीय गंगा परिषद का मक़सद गंगा का संरक्षण, सुरक्षा और रख- रखाव रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए जल संसाधन मंत्रालय ने 7 अक्‍टूबर, 2017 को नोटिफिकेशन जारी कर साल में इसकी मीटिंग रखने को कहा था।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से मिली जानकारी के मुताबिक दो साल बीत जाने के बाद भी ‘ राष्ट्रीय गंगा परिषद’ की एक भी बैठक नहीं हुई है। जबकि इस परिषद का गठन राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के विघठन के बाद के बाद किया गया था, इसकी अध्यक्षता भी प्रधानमंत्री के ज़िम्मे थी।
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन (एनजीआरबीए) का गठन साल 2009 में यूपीए सरकार में किया गया था जिसकी पहली बैठक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पांच अक्तूबर 2009 में ली थी। उसके बाद यूपीए सरकार में 2012 तक एनजीआरबीए की तीन बैठकें हो चुकी हैं. हालांकि एनजीआरबीए की एक मीटिंग पीएम मोदी की अध्यक्षता में 26 मार्च 2015 में हुई है।
गंगा की साफ-सफाई और उसके संरक्षण के लिए काम करने वाले पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा इस आखिरी और निर्णायक संस्था की एक भी बैठक नहीं होने पर ताज्जुब करते हैं और सवाल खड़े करते हैं कि ‘ये कोई निर्णायक बॉडी है या कोई जुमला है’। पहले भी कैग और संसदीय समिति गंगा सफाई को लेकर चिंता ज़ाहिर कर चुकी है।
संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और जनसंख्या की वजह से सिंचाई, औद्योगिक और पानी की निकासी के कारण नदी के बहाव में रूकावट और परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है।
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गंगा नदी में प्रदूषण कई सालों लगातार से बढ़ रहा है। 11 राज्यों से होकर गुजरने वाले पूरे गंगा बेसिन में सीवेज उपचार (साफ करने की) क्षमता में भारी कमी है।
गंगा की मुख्य धारा पर पांच राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) में हर दिन 730.01 करोड़ लीटर (7301 मिलियन लीटर प्रति दिन, एमएलडी) सीवेज तैयार होता है, लेकिन सिर्फ 212.6 करोड़ लीटर ही साफ हो पाता है।

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