बिहार पुलिस ने मानवाधिकारों को कर दिया तार-तार, शरीर में ठोक दी कील, उखाड़ डाला नाखून

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पटना। हत्या का ऐसा तरीका बिहार पुलिस ही खोज सकती है कथित अपराधियों के शरीर में कील ठोंककर मार डाला गया। तसलीम अंसारी (32) को मोटरसाइकिल चुराने और अपने मालिक राकेश कुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था, जबकि गुफरान का पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। मुजफ्फरपुर में हुई इस घटना को लेकर गिरफ्तारी 6 मार्च को स्थानीय रामडीहा गांव से हुई थी।
दोनों की पुलिस कस्टडी में ही 7 मार्च को मौत हो गई. लेकिन पुलिस द्वारा टॉर्चर करने के जो वीडियो और तस्वीरें सामने आईँ, उसने पूरी व्यवस्था के घिनौने चेहरे को उजागर कर दिया है।
पुलिस वालों ने मामले को रफा-दफा करने की भरपूर कोशिश की। लेकिन परिवार के लोगों ने इन तस्वीरों और वीडियो को पुलिस के सीनियर अधिकारियों और दूसरे लोगों के साथ शेयर कर दिया।
जब सिस्टम पर सवाल गहरे हुए, तो आनन-फानन में 5 पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया।
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने पुलिस कस्टडी में मौत होने की बात मानी है और कहा है कि- “सीतामढ़ी के डुमरा पुलिस स्टेशन के ऑफिस इंचार्ज चंद्र भूषण सिंह समेत 5 पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। अगर वे सरेंडर नहीं करते हैं तो उन्हें बर्खास्त करने की कार्रवाई भी होगी. सीतामढ़ी के एसपी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनका ट्रांसफर कर दिया गया है।”
लेकिन बिहार पुलिस की मंशा पर इसी से सवाल उठ रहे हैं कि इनमें से किसी भी पुलिस वाले का नाम एफआईआर में नहीं है। जिन दो आरोपियों के साथ पुलिस ने ये सब किया उनमें से तसलीम पर ईस्ट चंपारण और सीतामढ़ी में चार आपराधिक मामले दर्ज हैं और फिलहाल बेल पर था लेकिन गुफरान का पहले से कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।
जिस रामडीहा गांव में ये घटना हुई है वह गांव मोतीहारी लोकसभा सीट के तहत आता है और यहां से केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह सांसद हैं।
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में गुफरान के पिता मुनव्वर अली ने कहा कि- “हमलोग सो रहे थे तभी स्थानीय चकिया पुलिस स्टेशन की एक जीप हमारे घर पर पहुंची. इसमें 5 पुलिस वाले थे. उन्होंने गुफरान के बारे में सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि वह एक केस को लेकर गुफरान से बात करना चाहते हैं। इससे पहले कि हम अपनी बात कह पाते वे गुफरान को ले गए। गुफरान के बाद उन्होंने गांव के ही तसलीम अंसारी को भी उठा लिया।”
इसके बाद गुफरान के पिता मुनव्वर अली अपने भाई और गांव के दूसरे लोगों के साथ चकिया पुलिस स्टेशन पहुंचे। लेकिन वहां न गुफरान था और न ही तस्लीम। गांव के लोग वापस लौट गए. इसके बाद इन लोगों को पता चला कि दोनों को पुलिस ने डुमरा पुलिस स्टेशन में रखा है।
काफी वाद-विवाद के बाद गुफरान के चाचा सनवर अली को गुफरान से मिलने की इजाजत दी गई. इस मुलाकात के दौरान उन्होंने गुफरान की जो हालत देखी वह दहला देने वाली थी. उसके शरीर की हड्डियां तोड़ दी गई थीं. वह बोल भी नहीं पा रहा था।
इसके बाद 6 मार्च को शाम 5 बजे गुफरान और तसलीम के परिवार के लोग फिर से डुमरा पुलिस स्टेशन पहुंचे. वहां उन्हें सिर्फ दो महिला कॉन्सटेबल दिखी। लोगों ने उनसे गुफरान और तस्लीम के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उनकी मौत हो गई है और पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है।
उस दिन परिवार के लोगों को उन्हें देखने भी नहीं दिया गया। फिर 7 मार्च को जब दोनों की बॉडी परिवारों को सौंपी गई, तो सबके पैरों तले से जमीन खिसक गई. बॉडी को दफनाने से पहले लोगों ने देखा कि उनके शरीर में कीलें ठोकी गई थीं।
गांव में घटना को लेकर भारी गुस्सा है और परिवार को 50 लाख मुआवजा और गुफरान की पत्नी को नौकरी देने की मांग की है।

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