लोकसभा चुनाव के बाद देश में चुनाव की जरूरत नहीं होगी: साक्षी महाराज

0
23 मई को ही यह साफ हो सकता है कि केंद्र की सत्ता पर कौन सी पार्टी काबिज होगी।
जिस पार्टी को जनता ने सबसे ज्यादा वोट दिया होगा, वो अगले पांच साल तक सरकार चलाएगी. संविधान तो ऐसा ही कहता है लेकिन इस बार नेता कुछ और ही कह रहे हैं।
विपक्षी ही नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल के नेताओं का भी यह कहना है कि अगर 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारी बनी तो फिर देश में लोकसभा चुनाव कराने की जरूरत नहीं होगी।
उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में चुनाव की जरूरत नहीं होगी, इसके लिए मैं मोदी की सुनामी को धन्यवाद देता हूं।
उन्होंने कहा, “मोदी नाम की सुनामी है. देश में जागृति आई है. मुझे लगता है कि इस चुनाव के बाद 2024 में चुनाव नहीं होगा। केवल यही चुनाव है। इस देश के लिए प्रत्याशी जितवाने का काम करें।”
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने भी ऐसा ही बयान दिया है. गहलोत ने कहा कि अगर पीएम मोदी अपनी पार्टी के साथ 2019 लोकसभा चुनाव में दोबारा जीतकर आए तो फिर आगे चुनाव होने की कोई गारंटी नहीं होगी।
उन्होंने कहा, “मैं बड़ी गंभीरता से कह रहा हूं कि यदि मोदी अपनी पार्टी के साथ वापस चुनाव जीत कर आ गए तो आप यह बात दिमाग में रखें कि आगे चुनाव होने की कोई गारंटी नहीं होगी।”
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इन बयानों पर तंज कसा है. उन्होंने इसे लेकर कई ट्वीट किए और सत्ताधारी ‘मोदी सरकार’ पर गंभीर आरोप लगाए।

उन्होंने लिखा, “2014 में लालू जी ने कहा था, यह चुनाव निर्धारित करेगा कि देश टूटेगा या रहेगा, दंगाई ताक़तें इस देश और संविधान को खंडित कर देंगी। उनकी वाणी एक हद तक सही साबित हुई। 5 वर्षों में संविधान और संवैधानिक संस्थाओं के साथ तानाशाहों ने क्या-क्या खिलवाड़ किया यह किसी से छिपा नहीं है।”
तेजस्वी का एक अन्य ट्वीट, “संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है. अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता? अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की घटाने के लिए अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे।”

नेताओं के ऐसे बयान कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं. जैसे – क्या सच में 2019 के बाद देश में फिर कभी लोकसभा चुनाव नहीं होंगे?
तो क्या 17वीं लोकसभा केंद्र में आखिरी बार लोकतांत्रिक सरकार का गठन करेगी? क्या 2019 लोकसभा चुनाव के बाद देश संविधान के हिसाब ने नहीं चलेगा? क्या 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भारत एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहेगा?
ये सारे सवाल बहुत गंभीर हैं. जी हां, बहुत गंभीर. क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। देश की जनता अपनी सरकार चुनती है. भारत संविधान के हिसाब से चलता है. संविधान लोगों को न्याय दिलाता है। और देश की जनता का भरोसा बढ़ता है।
ऐसे में 2019 के बाद अगर देश में लोकसभा चुनाव ही नहीं होंगे तो जनता अपनी सरकारी कैसे चुनगी? और जब जनता के पास सरकार चुनने का अधिकार ही नहीं होगा तो देश संविधान के हिसाब से कैसे चलेगा? और फिर भारत लोकतांत्रिक देश कहां रह जाएगा?
गौर करने वाली बात ये है कि विपक्षी नेता लंबे समय से मोदी सरकार पर तानाशाही रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाते रहे हैं. मोदी सरकार पर देश की संवैधानिक संस्थाओं (निर्वाचन आयोग, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग इत्यादि) को नष्ट करने का आरोप लगता रहा है।
इसे देखते हुए 2024 में लोकसभा चुनाव नहीं होने संबंधी नेताओं की बयानबाजी गंभीर हो जाती है.
ऐसा मान लेना कि सच में देश में 2024 लोकसभा चुनाव नहीं होगा, देश से लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा, भारत संवैधानिक देश नहीं रहेगा… ये सब मजाक लगता है. मजाक इसलिए क्योंकि देश के हालात ऐसे नहीं है. ये सब होने की संभावना नहीं के बराबर है।
अंत में इतना ही कहा जा सकता है कि नेताओं को इस तरह के उल-जलूल बयान देने से बचना चाहिए। ये बयान भले ही एक झटके में देश से लोकतंत्र खत्म नहीं कर देते हों लेकिन उस बार दाग-धब्बे तो जरूर लगाते हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More