जानें सूर्य का मीन राशि में गोचर से राशियों पर होने वाले प्रभाव

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वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह सभी नौ ग्रहों में प्रधान ग्रह है। इसलिए इसे ग्रहों का राजा भी कहकर पुकारा जाता है। सूर्य को आत्मा, ऊर्जा, पिता, नेतृत्व, उच्च पद-प्रतिष्ठा आदि का कारक माना जाता है।
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य शुभ और मजबूत अवस्था में हो तो इसके प्रभाव से व्यक्ति समाज में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। सूर्य के प्रभाव से ऐसे जातक कुशल नेतृत्वकर्ता होते हैं और ऐसे व्यक्ति सरकारी या फिर ग़ैर सरकारी क्षेत्र में ऊँचे ओहदे पाते हैं।
जबकि इसके विपरीत अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य पीड़ित हो या फिर कमज़ोर अवस्था में होता है तो इससे जातकों को दुष्परिणाम भी प्राप्त होते हैं। जातक के पिता से संबंध ठीक नहीं रहते हैं और समाज में भी ऐसे व्यक्तियों को मान सम्मान प्राप्त नहीं होता है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। जिसके अनुसार ये सिंह राशि में मजबूत स्थिति में होते हैं। इसके साथ ही मेष सूर्य ग्रह की उच्च राशि मानी गई हैं जबकि तुला इनकी नीच राशि कहलाती है।
अर्थात सूर्य देव अपनी उच्च राशि में मजबूत तो नीच राशि में कमजोर होते हैं। हालाँकि वैदिक ज्योतिष में कमजोर सूर्य को मजबूत करने के उपाय भी बताए गए हैं। जैसे सूर्य यंत्र की विधि विधान से स्थापना करने के पश्चात् इसकी आराधना करने से सूर्य ग्रह शक्तिशाली होता है।
इसके अलावा माणिक्य रत्न धारण करने से भी सूर्य ग्रह का आशीर्वाद प्राप्ति किया जा सकता है। एक मुखी रुद्राक्ष और बेल मूल भी सूर्य ग्रह की शांति के लिए धारण किए जाते हैं।
गोचर समय व अवधि
इस बार सूर्य ने कुम्भ राशि से मीन राशि में अपना गोचर 15 मार्च 2019 को शुक्रवार के दिन सुबह 05:40 बजे किया है। इस अवस्था में सूर्य देव करीब एक महीने तक रहने वाले हैं और इसके बाद वे अगली राशि यानी मीन से मेष में प्रवेश कर जाएंगे।
सूर्य ग्रह का मीन राशि में गोचर करने से सभी राशियाँ प्रभावित होंगी। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आपकी राशि में इस गोचर का प्रभाव किस प्रकार पड़ेगा।
मेष
सूर्य ग्रह का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव में होगा। कुंडली में द्वादश भाव व्यय, मोक्ष, अचेतन मन, हानि, विदेशी ज़मीन और यात्रा, कल्पना आदि को प्रकट करता है। इस माह आपको विदेश से किसी प्रकार का समाचार प्राप्त हो सकता है। अगर आप उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की सोच रहे हैं तो
आपको विदेश की किसी अच्छी यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौक़ा मिल सकता है। वहीं 12वें भाव में सूर्य की उपस्थिति से आपका स्वास्थ्य कुछ कमज़ोर रह सकता है। इस दौरान अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें। साथ ही वाहन आदि में सफर करते समय सावधानी बरतें। अन्यथा आप चोटिल हो सकते हैं और अधिक चोट लगने पर आप अस्पताल में भर्ती भी हो सकते हैं।
मेष राशि के जातक गोचर के दौरान अकेला महसूस कर सकते हैं। यदि आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं तो अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने प्रियतम से बात कर सकते हैं। मसलन साथी से संवाद का सिलासिला बनाए रखें। इस अवधि में आपके मन में नए-नए विचारों और कल्पनाओं का सृजन होगा।
यदि आप किसी क्रिएटिव फील्ड से संबंध रखते हैं तो यह आपके लिए अच्छा समय हो सकता है। चूंकि बारहवाँ भाव व्यय भाव कहलाता है और इस भाव में सूर्य की उपस्थिति आपके ख़र्चों में वृद्धि कर सकती है। इसलिए पैसे सोच समझकर ही ख़र्च करें। अनावश्यक चीज़ों में पैसा न बर्बाद करें।
उपाय – प्रतिदिन सूर्योदय के समय हनुमान जी की उपासना करें।
वृषभ
सूर्य ग्रह आपकी राशि से एकादश भाव में गोचर करेगा। कुंडली का यह भाव लाभ का भाव होता है। ज्योतिष में इस भाव से जीवन में प्राप्त होने वाली सभी तरह की उपलब्धियाँ, लाभ, बड़े भाई-बहन, मित्र, लक्ष्य एवं महत्वाकांक्षाओं को देखा जाता है। आपको इस माह ज़बरदस्त आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
इस गोचर से आपकी आय के स्रोतों में वृद्धि होगी और आपके पास धन का आगमन होगा। यदि आपने किसी लोन के लिए आवेदन किया है तो उसमें आपको सफलता प्राप्त हो सकती है। सूर्य के प्रभाव से इस महीने आपको आपके कर्मों का फल लाभ के रूप में प्राप्त होगा, जो कि किसी कारण से रुका हुआ था। यह लाभ आर्थिक रूप में भी हो सकता है।
अगर आप किसी संस्थान में नौकरी कर रहे हैं तो आपका प्रमोशन या फिर सैलरी में इज़ाफ़ा होने की प्रबल संभावना है। गोचर के दौरान आपके बड़े भाई-बहन को कार्य के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है जिसमें उन्हें सफल परिणामों की प्राप्ति होगी। सामाजिक समारोह में शिरकत करने का अवसर प्राप्त होगा।
इस दौरान आप नए लोगों से मुलाकात करेंगे और उनके साथ आपकी मित्रता बढ़ेगी। हालाँकि आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा। ख़ासकर घुटने से नीचे पैर तक आपको किसी प्रकार की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लें।
उपाय – महालक्ष्मी जी की आराधना करें।
मिथुन
सूर्य आपकी राशि से दशम भाव में स्थित होगा। कुंडली में दसवाँ भाव कर्म भाव होता है। इस भाव से करियर, पिता, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान एवं राजनीति आदि को देखा जाता है। गोचर की अवधि में सूर्य का प्रभाव आपके कार्य क्षेत्र पर मुख्य रूप से पड़ेगा। साथ ही आप अपने कार्यक्षेत्र में नए बदलावों को देखेंगे।
करियर में आपको नई चीज़ों का अनुभव प्राप्त होगा। ऑफ़िस अथवा आप जहाँ कार्यरत हैं वहाँ आपका अच्छा कार्य आपके मान-सम्मान में वृद्धि करेगा। राजनीति से संबंध रखने वाले जातकों के लिए यह गोचर लाभकारी साबित हो सकता है। उन्हें अपने राजनीतिक क्षेत्र में सफलता मिलने की प्रबल संभावना है। नौकरी में आपको सफलता प्राप्त होगी और कार्य स्थल पर आपके रुके हुए कार्य पूरे होंगे।
इसमें आपके सहकर्मी आपकी मदद कर सकते हैं। अपने सहकर्मियों की मांगों या फिर उनके सुझावों को लेकर आप अपनी संस्थान के उच्च अधिकारियों से मिल सकते हैं। यह मुलाक़ात आपके अंदर नेतृत्व क्षमता के गुण को विकसित करेगी जो कि आपके लिए भविष्य में लाभकारी सिद्ध होगी।
जहाँ तक सेहत का सवाल है तो आप अपनी सेहत को लेकर गंभीर रहें और लापरवाही बिल्कुल न दिखाए। ख़ासकर आपको जांघ से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो सकती है। इसलिए इस ओर विशेष ध्यान दें।
उपाय – श्री महाविष्णु जी की उपासना करें।
कर्क
सूर्य आपकी राशि से नवम भाव में गोचर करेगा। जन्म कुंडली में यह भाग्य भाव होता है। इस भाव से व्यक्ति के भाग्य, गुरु, धर्म, नैतिक मूल्यों, बुद्धि, लंबी दूरी की यात्रा आदि को देखा जाता है। इस भाव में सूर्य की उपस्थिति से आपका सोया हुआ भाग्य जग सकता है। आपको कोई ऐसी उपलब्धि प्राप्त हो सकती है जो आपकी कल्पना से बाहर होगा।
गोचर की अवधि में आप अपने गुरु या फिर गुरु समान व्यक्तियों से मिलेंगे जो आपका मार्गदर्शन करेंगे। उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलने से आपको लाभ की प्राप्ति हो सकती है। आप उनका हृदय से सम्मान करेंगे। आपके व्यक्तित्व में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे सकता है। आपके अंदर नैतिक मूल्यों का विकास होगा और धर्म-कर्म के कार्य में आपकी रुचि बढ़ेगी।
इस अवधि में आप किसी लंबी दूरी की यात्रा अथवा किसी तीर्थ स्थान के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। निश्चित ही इससे आपके मन को शांति मिलेगी। आपअपने धर्म के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं करना चाहेंगे। गोचर की अवधि में अपनी सेहत को भी नज़रअंदाज़ न करें। क्योंकि
आपको जांघ से ऊपर किसी प्रकार की समस्या हो सकती है। लिहाज़ा इसका ध्यान रखें। हमेशा याद रखें, स्वास्थ्य ही आपकी असली पूँजी है। अच्छा स्वास्थ्य ही आपको उस मुकाम तक पहुँचा सकता है जिस मुकाम में आप पहुँचना चाहते हैं।
उपाय – माँ गौरी की पूजा करें।
सिंह
सूर्य आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर करेगा। कुंडली में अष्टम भाव जीवन में अचानक से आने वाली समस्याओं, उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है। वैदिक ज्योतिष में इसे आयुर्भाव कहते हैं। यह भाव जातक की आयु के विषय में बताता है।
इसके अलावा कुंडली में यह भाव गूढ़ विज्ञान, शोध एवं जीवन-मरण की भी व्याख्या करता है। सूर्य के इस भाव में गोचर से आपको थोड़ी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। क्योंकि यह अवधि आपके लिए उतार-चढ़ाव से भरी होगी। साथ ही आपको इस दौरान अप्रत्याशित परिणाम भी प्राप्त होंगे।
ये परिणाम सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के हो सकते हैं। इस दौरान अगर आप वाहन चलाते हैं तो विशेष सावधानी बरतें। ख़ासकर शराब या फिर अन्य प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन करके वाहन बिल्कुल न चलाएं। इसके अलावा तेज़ गति से वाहन न चलाएँ और ट्रैफिक नियमों को न तोड़ें। सूर्य का गोचर आपकी सैक्स लाइफ को प्रभावित कर सकता है।
अगर आप रिसर्च या फिर ऑकल्ट साइंस से जुड़े हैं तो ये समय आपके लिए शानदार साबित हो सकता है। सेहत के नज़रिए गोचर का विश्लेषण करें तो आपको नितंब के आसपास किसी प्रकार की प्रॉब्लम रह सकती है। ऐसा अनुभव होने पर इस समस्या का उपचार करें।
उपाय – श्री राम भगवान की पूजा करें।
कन्या
सूर्य का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। कुंडली का सातवाँ भाव विवाह भाव कहलाता है। इस भाव से वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी, आसपास के लोगों से आपके संबंध, व्यापार, स्टेट्स में वृद्धि एवं जीवन में होने वाली सभी प्रकार की साझेदारियों को देखा जाता है। गोचर से आपका वैवाहिक जीवन प्रभावित होगा।
ख़ासकर इस दौरान आपको अपने जीवनसाथी के साथ मधुर संबंध बनाए रखने की कोशिश करनी होगी। उनकी भावनाओं को समझना होगा और उनकी कद्र भी करनी होगी। अगर आप दोनों के बीच किसी प्रकार की ग़लतफहमी होती है तो उस ग़लतफहमी को तुरंत दूर करने का प्रयास करना होगा।
इससे आप दोनों के बीच पारस्परिक संबंध अच्छे बने रहेंगे। अगर साझेदारी में किसी के साथ व्यापार कर रहे हैं तो उसके लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है। परंतु आपकी भूमिका इसमें महत्वपूर्ण रहने वाली है। लिहाज़ा व्यापार की तरक्की के लिए अपने रोल को समझें और बिजनेस पार्टनर से संबंधों को न बिगड़ने दें।
अगर आप इस समय साझेदारी में व्यापार करने की शुरुआत करने वाले हैं तो इसके लिए समय अनुकूल नहीं है। करियर के लिए समय शुभ संकेत दे रहा है। नौकरी में तरक्की होने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है। सेहत की दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा। परंतु आपको गुप्तांग से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो सकती है लिहाज़ा इस ओर ध्यान रखें।
उपाय – बाधाओं से बचने के लिए बुध गायत्री मंत्र का उच्चारण करें।
तुला
सूर्य आपकी राशि से षष्ठम भाव में गोचर करेगा। कुंडली में यह भाव शत्रु भाव होता है। इस भाव से शत्रु, रोग, पीड़ा, क़ानूनी विवाद, रोग प्रतिरोधक प्रणाली, पालतू जानवर एवं वैवाहिक रिश्ते में अलगाव आदि को देखा जाता है। इस अवधि में आपको किसी मसले को लेकर क़ानूनी विवाद का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसी स्थिति से बचने का प्रयास न करें। किसी भी ग़ैर क़ानूनी कार्य से ख़ुद को दूर रखें। अन्यथा क़ानूनी विवाद में पड़ने से, आपका मान-सम्मान कम होगा और इसमें आपको आर्थिक हानि भी पहुँच सकती है। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी से किसी बात को लेकर झगड़ा हो सकता है। अगर इस झगड़े को काबू नहीं किया गया तो मामला तलाक तक भी पहुँच सकता है।
लिहाज़ा ऐसी परिस्थिति को न बनने दें। अगर आप पहले ही जीवनसाथी से तलाक लेना चाह रहे हैं और मामला कोर्ट में लटका हुआ है तो उसका फैसला आ सकता है। यात्रा या फिर बाज़ार में अपने सामान का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि अगर अपने समान का ध्यान नहीं रखेंगे तो उसकी चोरी हो सकती है। अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत बनाए रखें। इसके लिए नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराए और उनकी सलाह लें।
उपाय – शुक्र गायत्री मंत्र का जाप करें।
वृश्चिक
सूर्य आपकी राशि से पंचम भाव में गोचर करेगा। कुंडली का पंचम भाव संतान भाव कहलाता है। इस भाव से संतान, रचना, बुद्धि, उच्च शिक्षा, धार्मिक कर्म कांड, रोमांस, मंत्र जाप, सट्टा, पिछले जन्मों के कर्म एवं नए अवसरों को देखा जाता है। अगर आप संतान की चाह रखते हैं तो आपकी यह कामना पूर्ण हो सकती है।
इस अवधि में आप धार्मिक कर्म कांडों में रुचि लेंगे। घर में पूजा पाठ भी हो सकता है। अगर आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं तो प्रियतम के साथ आपको रोमांस करने का भरपूर मौक़ा मिल सकता है। आपको पूर्व जन्मों के आधार पर परिणामों की प्राप्ति हो सकती है। अगर आप अपनी नौकरी बदलना चाह रहे हैं तो इसके लिए आपको अच्छे अवसर मिल सकते हैं।
ऐसे अवसरों को हाथ से न जानें दें और उन्हें पूरी तरह से भुनाने का प्रयास करें। आप अपने कार्य को पूरा करने के लिए केवल शारीरिक परिश्रम ही न करें बल्कि अपने बौद्धिक कौशल का प्रयोग भी करें। ऐसा करने पर आपको निश्चित ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। पेट से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपने खान-पान का ध्यान रखें।
उपाय – मंगल गायत्री मंत्र का जाप करें।
धनु
सूर्य आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेगा। कुंडली का चौथा भाव सुख भाव होता है। ज्योतिष में इस भाव से माता, सभी प्रकार के सुख, भावनाएँ एवं चल-अचल संपत्ति आदि को देखा जाता है। इस भाव में सूर्य का गोचर आपकी माता जी के लिए अच्छा रहेगा। अगर वह किसी प्रकार की स्वास्थ्य परेशानी से जूझ रही हैं तो उनकी सेहत में सुधार होगा।
माता जी के साथ आपके रिश्ते भी अच्छे स्थापित होंगे। अगर पहले से ही मनमुटाव है तो उसमें कमी आएगी। सूर्य के प्रभाव से नया वाहन अथवा ज़मीन जायदाद ख़रीदने के लिए समय अच्छा है। लिहाज़ा किसी प्रकार की प्रॉपर्टी ख़रीदने का प्लान बना सकते हैं। अगर आपने लोन के लिए बैंक में आवेदन किया है तो उसमें आपको सफलता अर्जित होगी।
अगर आपकी संतान बोर्ड की परीक्षा दे रही है तो एग्जाम में उसका प्रदर्शन सामान्य से अच्छा रहेगा। नाभी के आसपास और पीठ में किसी प्रकार की समस्या या शारीरिक परेशानी हो सकती है। लिहाज़ा इस ओर आपको ध्यान देना होगा। सेहत को फिट बनाए रखने के लिए योग्य दिनचर्या का नियमित रूप से पालन करें।
उपाय – गायत्री मंत्र का जाप करें।
मकर
सूर्य आपकी राशि से तृतीय भाव में संचरण करेगा। कुंडली में तीसरा भाव सहज भाव होता है। ज्योतिष में कुंडली के तीसरे भाव से जातक की इच्छा शक्ति, साहस, जिज्ञासा, छोटे भाई बहन, ऊर्जा, आदत, आकांक्षा, रुचि, जोश और उत्साह आदि को देखा जाता है। गोचर के दौरान छोटे भाई बहनों को उनके कार्य में सफलता मिलेगी।
हालाँकि उनके साथ संवाद बना रहे इसका ध्यान भी आपको रखना होगा। अन्यथा उसके साथ आपकी सामंजस्यता कम हो सकती है। इसलिए ऐसी परिस्थिति न आए इसका ध्यान आपको रखना होगा। ज़रुरत पड़ने पर उनकी सहायता करें और उन्हें समस्याओं से बाहर निकालने का प्रयास करें। इस अवधि में आपको छोटी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है।
हालाँकि यह यात्रा किसी विशेष कार्य के लिए होगी। आप गोचर के दौरान ऊर्जावान रहेंगे। अपनी इस ऊर्जा को सही दिशा में लगाए। आपके साहस में वृद्धि होगी। शत्रु आपका सामना करने से डरेंगे। सिर और कंधे के आसपास आपको शारीरिक समस्या हो सकती है। इसलिए थोड़ा सावधान रहें।
उपाय – शनि देव की पूजा करें। नित्य पीपल के पेड़ के नीचे दीप जलाएँ।
कुंभ
सूर्य आपकी राशि से द्वितीय भाव में जाएगा। कुंडली का दूसरा भाव धन भाव कहलाता है। ज्योतिष विद्या में इस भाव से धन प्रारंभिक शिक्षा, वाणी, परिवार एवं जातक के बचपन को देखा जाता है। पारिवारिक जीवन का विचार करने पर इस भाव को कुटुंब भाव भी कहते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से सूर्य का गोचर आपको सावधान रहने की सलाह दे रहा है। ख़ासकर आपको फूड प्वॉइजन की शिकायत हो सकती है। इसलिए ताज़ा खाना ही खाए, बाहर की चीज़ें न खाए। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, क्योंकि अगर आप सेहतमंद रहेंगे तो आप प्रत्येक चुनौतीपूर्ण कार्य को करने में सक्षम होंगे।
गोचर के दौरान आपको आर्थिक लाभ होगा। घर में धन आएगा और किसी नए मेहमान का भी आगमन हो सकता है। आध्यात्मिक कार्य के लिए धन ख़र्च हो सकता है। हालाँकि इससे आपको मानसिक सुकून मिलेगा। परिवार में सामंजस्य की स्थिति बनी रहेगी।
मुश्किल समय में परिजनों का साथ मिलेगा। चेहरे में मुंहासे अथवा दाने हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में किसी चर्म रोग विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
उपाय – शनि गायत्री मंत्र का जाप करें।
मीन
सूर्य आपकी राशि में गोचर करेगा और यह आपके लग्न भाव में स्थित होगा। कुंडली में लग्न भाव से जातक के स्वभाव उसके रंग रूप, बुद्धि, समृद्धि, मूलभूत भाव और स्वास्थ्य को देखा जाता है। ज्योतिष में इसे तनु भाव भी कहते हैं। गोचर की अवधि में आपके बौद्धिक कौशल में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल सकता है।
आपके विचारों में गहराई आएगी और आपके सोचने का दायरा भी बढ़ेगा। जीवन में आप तरक्की करेंगे। सेहत की दृष्टि से ये गोचर आपके लिए शुभ रह सकता है। हालाँकि आपके अंदर क्रोध की मात्रा बढ़ सकती है जिस पर आपको काबू पाना होगा। अन्यथा इससे आपके रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। आपका क्रोध लड़ाई-झगड़े का कारण भी बन सकता है।
सूर्य के प्रभाव से मीन राशि के जातक समाज में मान-सम्मान पाएंगे। आपके अंदर नेतृत्व क्षमता का गुण विकसित होगा। लोग आपसे सलाह मशविरा भी ले सकते हैं। अगर आप संवाद करने में कठिनाई महसूस करते हैं तो गोचर के दौरान आप अपने विचारों को मुखर रूप से रखेंगे। आपको सिर दर्द की समस्या रह सकती है। ऐसी स्थिति में आराम करें। आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक के पास जाएं।
उपाय – माँ दुर्गा की आराधना करें।
ज्योतिर्विद पं उमाकांत दुबे

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