विदिशा से सुषमा स्वराज की जगह शिवराज सिंह की पत्नी साधना होंगी भाजपा उम्मीदवार

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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह अब चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। सूत्रों की मानें तो विदिशा लोकसभा सीट से शिवराज की पत्नी साधना सिंह का नाम सिंगल पैनल के तौर पर हाईकमान के पास जा रहा है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह लंबे वक्त से विदिशा संसदीय क्षेत्र में काम कर रही हैं।
वर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में विदिशा लोकसभा सीट से साधना सिंह का लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद सभी तय नामों पर मुहर लगा दी जाएगी। खुद शिवराज यहां से 5 बार सांसद रह चुके हैं।
हाल में हुई बीजेपी की बैठक में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और विधायकों ने विदिशा से साधना सिंह को लड़ाने की मांग की थी। सूत्रों की मानें तो साधना सिंह के अलावा वहां पर जितने भी दूसरे दावेदार हैं, किसी का नाम पैनल में नहीं रखा गया है।
खुद शिवराज सिंह चौहान विदिशा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे नाम यहीं से सांसद का चुनाव जीते।
विदिशा का चुनावी इतिहास
चौथी लोकसभा के समय अस्तित्व में आने के साथ ही 1967 में जन संघ के पंडित शिव शर्मा को पहले सांसद बने। 1971 में हुए लोकसभा चुनान में विदिशा से रामनाथ गोयना जन संघ से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1977 में जनता पार्टी के राघव जी चुनाव जीतकर विदिशा के सांसद बने।
कांग्रेस को सिर्फ दो बार ही यहां से सफलता मिल पाई है. विदिशा लोकसभा सीट से कांग्रेस को पहली सफलता 13 साल बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में मिली। कांग्रेस से उम्मीदवार भानुप्रताप शर्मा ने 1980 में राघव जी को शिकस्त देकर यहां पार्टी का परचम लहराया। दूसरी बार 1984 में इंदरा गांधी की मौत के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के लिए बनी लहर में भानुप्रताप शर्मा ने फिर जीत दर्ज़ की।
1989 में राघव जी ने भाजपा के टिकट पर चुना लड़ा और इस सीट को फिर भाजपा के खाते में डाल दिया। 10वीं लोकसभा में विदिशा सीट पर एक बार फिर सबकी नज़र टिक गई जब 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी ने यहां से जीत दर्ज की।
1991 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा और लखनऊ दोनों से चुनाव लड़े थे। दोनों जगहों से जीतने के बाद उन्होंने ये सीट राघव जी की जगह शिवराज को दे दी और 1991 में हुए उप चुनाव में विदिशा की जनता ने शिवराज सिंह चौहान को चुना।
1991 के बाद 1996, 1998, 1999, 2004 तक लगातार 5 बार शिवराज सिंह चौहान यहां से सांसाद बने। 2006 में जब अटल बिहारी वाजपेयी ने शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए घोषित किया तो शिवराज ने अपनी जगह अपने करीबी रामपाल को सीट दे दी।
2009 में सुषमा स्वराज चुनाव जीतीं। जीत को दोहराते हुए 2014 में एक बार फिर सुषमा स्वराज ने भाजपा का परचम लहराया और विदेश मंत्री भी बनीं।
हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए विधान सभा में चुनाव में विदिशा और सांची विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में आई। इसके अलावा सभी 6 सीटों भोजपुर, सिलवानी, बासोदा, बंधनी, इछावर, खातेगांव पर भाजपा को जीत मिली।
ये सभी 6 विधायक साधना सिंह के नाम पर सहमति जाहिर कर चुके हैं. बुधनी से शिवराज सिंह चौहान विधायक हैं। विधान सभा चुनाव में बुधनी में चुनाव प्रचार शिवराज कि जगह साधना सिंह की करती हैं।
पूर्व सांसद और विधायक रामपाल सिंह का कहना है कि आखिरी फैसला दिल्ली को लेना है लेकिन यहां से सिंगल नाम गया है. उम्मीद है कि दिल्ली भी इन्हीं के नाम पर मुहर लगायेगी।

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