चार महीने से वेतन न मिलने पर ‘स्टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ के कर्मचारी हड़ताल पर गए

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दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की सेवा में जुटे कर्मचारियों को तकरीबन चार महीने से वेतन नहीं मिला है। वे इसी के विरोध में हड़ताल पर चले गए हैं। ब्रिटिश अखबार ‘द टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिहाड़ी न दिए जाने के लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इतना ही नहीं, देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाने वाले इन सैकड़ों कर्मचारियों ने अपने औजार साइट पर ही छोड़ दिए थे, जिसके बाद उन्होंने 182 मीटर (600 फुट) ऊंची प्रतिमा के इर्द-गिर्द ह्यूमन चेन बनाई थी।
बता दें कि पीएम मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में 31 अक्टूबर 2018 को इसका अनावरण किया था। ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट की मानें तो प्रतिमा के उद्घाटन के लगभग दो महीने बाद से उसकी देख-रेख में जुटे कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दी गई। ऐसे में वे हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए।
बता दें कि सरदार की यह मूर्ति इससे पहले तक विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा, चीन के स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्ध से 29 मीटर ऊंची है। चीनी प्रतिमा की ऊंचाई 153 मीटर है। इतना ही नहीं, यह न्यूयॉर्क स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से भी यह लगभग दोगुना बड़ी है।
विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के टापू पर बनी इस मूर्ति को बनाने में तकरीबन 2389 करोड़ रुपए का खर्च आया था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को तकरीबन 3,000 हजार कर्मचारियों ने मिलकर तैयार किया है। इनमें लारसेन एंड टर्बो (एलएंडटी) के 300 इंजीनियर शामिल हैं।
-सरदार की इस प्रतिमा को बनाने में लगभग साढ़े तीन साल का समय लगा था। देश के ‘लौहपुरुष’ की प्रतिमा में 129 टन लोहा लगा, जिसे सूबे के 1,69,000 गांवों से इकट्ठा किया गया।
-प्रतिमा पर पीतल का आवरण चढ़ाने का काम चीन की जियांगजी टॉकीन कंपनी (जेटीक्यू) ने किया था।
-182 मीटर ऊंची यह मूर्ति का मौजूदा रंग पीतल के जैसा है, पर 100 सालों में इसका रंग हरा हो जाएगा। बताया जाता है कि ऐसा प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की वजह से होगा।
-दावा है कि मौजूदा समय में विश्व की सबसे ऊंची यह प्रतिमा भूकंप और 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार की हवाओं के झोंके को भी आसानी से झेल जाएगी।

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