आसान नहीं है चौकीदार होना, पढिये उनकी मजबूरी की कहानी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को चुनावी मुहिम के तहत देश के 25 लाख़ चौकीदारों से बात करेंगे. इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी कैंपेन की शुरुआत की।
इतना ही नहीं अगले दिन पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर नाम से पहले ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया।
अपने नाम में महज़ शब्द जोड़ लेने से चौकीदार समुदाय को कितना फ़ायदा होगा, ये तो नहीं पता। हां ये ज़रूर है कि इस कैंपेन की वजह से अब तक समाज में उपेक्षित महसूस कर रहा यह वर्ग अचानक से चर्चा में आ गया है।
TV 9 भारतवर्ष की रिपोर्टर शालिनी वाजपेई ने नोएडा में रह रहे कुछ सिक्योरिटी गार्ड यानी कि चौकीदार से बात की। राजू शाह नाम के गार्ड ने बताया कि ‘पिछले तीन महीने से मुझे वेतन नहीं मिला है. वेतन के नाम पर साढ़े ग्यारह हज़ार रुपये मिलते हैं और लगातार 12 घंटे की ड्यूटी है।
पिछले 13 महीने से परिवारवालों से नहीं मिला हूं, इस बार होली पर भी घर नहीं जा पाऊंगा. सेलिरी नहीं मिली को क्या मुंह लेकर जाएं. हमें किसी तरह की कोई छुट्टी भी नहीं मिलती. अगर बीमार पड़ गया तो अपना वेतन गंवाना पड़ता है।’
वहीं साथ में काम कर रहे संदीप तिवारी की भी वही कहानी है. संदीप बताते हैं, ‘पिछले तीन महीने से पैसा नहीं मिला है, एक भी छुट्टी नहीं है अगर ली तो पैसा कटेगा। गांव में रोज़गार नहीं है इसलिए यहां आए लेकिन अभी स्थिति ऐसी है कि रोज़गार भी नहीं छोड़ सकते नहीं तो पैसे चले जाएंगे।’
सोचिए शहर में रह रहे नौकरी पेशा व्यक्ति के लिए खाना से पानी तक हर जगह पैसा चुकाना होता है पिछले तीन महीने से बिना सैलिरी के यह चौकीदार कैसे रह रहा होगा. परिवार वालों को क्या भेज रहा होगा?
योगेंद्र सिंह नाम का यह युवक पैसा कमाने की चाह में शहर आया। अभी तक शादी नहीं की है. सोचता है कि पहले कुछ पैसे कमा ले फिर शादी करेगा। अब जब तीन महीने से सैलिरी ही नहीं आई है तो वह परिवार वालों को भी क्या भेजेगा?
सीआईएस कंपनी में काम कर रहे सिक्योरिटी गार्ड पीएम मोदी से गुहार लगा रहे हैं कि वो उनकी परेशानी सुनें। रोते हुए एक गार्ड कहता है ‘पिछले तीन महीने से पैसा नहीं मिला है, परिवार को खाना तक नहीं दे पा रहे हैं।
हम क्या करें, किससे कहे समझ नहीं आता। मज़दूर आदमी है हमारा परिवार रोड पर है। क़रीब 30 से 40 हज़ार रुपये फंसे हुए हैं। पीएम मोदी हमारी गुहार सुनें।’
इसे विडंबना ही कहेंगे की जो व्यक्ति पिछले 16 सालों से चौकीदारी की काम कर रहा है उसे भी मात्र 11-12 हज़ार रुपये तनख़्वाह दी जा रही है। सोचिए वो अपना और पूरे परिवार का पेट कैसे पालता होगा।

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