मैं एक दिन का नेता नहीं हूँ मैंने दरी उठाने से लेकर यहां तक का सफर तय किया: गिरिराज सिंह

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पटना। नवादा से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह पार्टी से खफा से दिख रहे हैं। उनकी नाराजगी का कारण है उनकी संसदीय सीट बदल देना।
दरअसल, भाजपा ने इस बार उनको बेगूसराय ने चुनाव लड़ने का फरमान सुना दिया है जबकि गिरिराज चाहते हैं कि उनको नवादा से दोबारा टिकट दिया जाए। गिरिराज सिंह अपनी नाराजगी पार्टी आलाकमान तक पहुंचा चुके हैं।
गिरिराज सिंह ने टिकट की बात पर कहा कि मेरे लिए बेगुसराय का टिकट जो केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे दिया है वो सम्मान की बात है और ये मेरे लिए सौभाग्य है कि बेगूसराय मेरी जन्मभूमि कर्मभूमि है। मैं 1996 से यहां से चुनाव लड़ना चाहता था लेकिन कभी मौका नहीं मिला, क्योंकि ये सीट हमेशा गठबंधन में रहती थी।
2013 में जब गठबंधन टूटा तो मुझे लगा कि 2014 में मैं बेगुसराय से चुनाव लड़ूगा, लेकिन 9 बार से विधायक रहे और नवादा से सासंद रहे स्वर्गीय भोला बाबू की जगह मुझे नवादा से टिकट दिया गया तो मैं उनका आशीर्वाद लेकर नवादा गया चुनाव लड़ा और अच्छे बहुमत से ना सिर्फ चुनाव जीता बल्कि जनता का प्यार भी जीता।
अब मेरी नाराज़गी नहीं है केंद्रीय नेतृत्व से तो बिलकुल भी नहीं राज्य के नेतृत्व से भी नाराज़ नहीं हूं, लेकिन मुझे राज्य के नेताओं के फ़ैसले से पीड़ा है मैं एक दिन का नेता नहीं हूँ मैंने दरी उठाने से लेकर यहां तक का सफर तय किया है मुझे दुख होगा सिर्फ इस बात का है कि मुझे विश्वास में लेकर ये फैसला क्यों नहीं किया गया।
मुझे 6 महीने पहले क्यों नहीं बताया गया? वहां के सांसद रहे बोला बाबू का निधन हुए छह महीने से ज़्यादा का वक्त बीत गया। प्रदेश नेतृत्व इस मसले पर मुझसे गंभीरता से बात क्यों नहीं की. मुझे विश्वास में लिए बगैर ये फैसला लिया गया।

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