झारखंड: हर कोई खुद को चौकीदार साबित करने में लगा है लेकिन असल चौकीदारों की हालत है बद से बदतर

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झारखंड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास तक हर कोई खुद को चौकीदार साबित करने में लगा है।
लेकिन जो वाकई चौकीदारी करते हैं उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। झारखंड में लगभग 10,000 की संख्या में चौकीदार कार्यरत हैं जो फोर्थ ग्रेड की श्रेणी में आते हैं।
खुद को चौकीदार कहने वाले लोग अगर चौकीदारों की हकीकत से वाकिफ होते तो अपने नाम के आगे चौकीदार लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यकीन नहीं आए तो झारखंड राज्य दफादार चौकीदार संघ के अध्यक्ष कृष्ण दयाल सिंह को सुन लीजिए।
कृष्ण दयाल सिंह कहते हैं कि पिछले 5 महीनों से वेतन नहीं मिला है। पैसे के अभाव में 10 चौकीदारों की मौत हो चुकी है। मृतक के परिजनों को आज तक मुआवजा तक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि, सेवा से एक मुश्त हटाए गए 600 चौकीदारों को अविलंब बहाल किया जाए।
झारखंड में चौकीदार दफादार के अलावा गृह रक्षकों की भी हालत खस्ता है. झारखंड में लगभग 22 हजार की संख्या में होमगार्ड के जवान विभिन्न संस्थानों में सुरक्षा के तौर पर तैनात हैं। अक्टूबर महीने के बाद से ज्यादातर संस्थानों में कार्यरत होमगार्ड के जवानों को वेतन नहीं मिला है।
रांची के बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में तैनात होमगार्ड के जवान कहते हैं कि, उन्हें सूद में पैसे लेकर घर परिवार चलाना पड़ रहा है। असली चौकीदारों की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
होमगार्ड जवानों को प्रतिदिन ₹450 की दर से मेहनतताना दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर ₹500 करने की योजना है। डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट विनय कुमार कहते हैं कि, होमगार्ड जवानों को सरकारी कर्मी के तौर पर स्वीकार नहीं किया गया है।
हर 4 साल में इनका रिनुअल होता है। होमगार्ड जवानों को ना तो वीकली ऑफ दिया जाता है और ना कोई पेंशन की व्यवस्था है. महिला होमगार्डों को मातृत्व अवकाश देने का भी प्रावधान नहीं है। इतना ही नहीं 4 साल में एक बार 3000 वर्दी भत्ता दिया जाता है।

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