1971 में कुशीनगर के पडरौना लोकसभा से पहले सांसद बने थे गेदा सिंह

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कुशीनगर। जिले में वर्ष 1971 में हुए लोकसभा के पांचवें आम चुनाव में देवरिया पूर्वी के बाद परिवर्तित हुए हाटा लोकसभा क्षेत्र का नाम तब्दील होकर पडरौना लोकसभा क्षेत्र हो गया। चर्चित किसान नेता गेंदा सिंह अस्तित्व में आए पडरौना लोकसभा से पहले सांसद चुने गए थे।
उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर बीकेडी के सीपीएन सिंह को 1,49,882 वोटों से पराजित किया था। वहीं लगातार तीन बार जीत का परचम लहराने वाले काशीनाथ पांडेय को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। काशीनाथ कांग्रेस अर्स प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे।
मौजूदा कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र कुशीनगर आजादी के बाद पहले आम चुनाव में देवरिया पूर्वी, दूसरे, तीसरे और चौथे चुनाव में हाटा लोकसभा के नाम से था। पांचवें आम चुनाव में इसका नाम पडरौना लोकसभा के रूप में तब्दील हो गया था। लोकसभा चुनाव में बीकेडी ने पडरौना जगदीशगढ़ स्टेट के सीपीएन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था।
लगातार तीन बार सांसद चुने गए काशीनाथ पांडेय कांग्रेस अर्स से चुनाव मैदान में उतरे थे। वहीं कांग्रेस ने चर्चित गन्ना किसान नेता गेंदा सिंह पर दाव खेला जिन्हें दूसरे आम चुनाव में काशीनाथ पांडेय ने शिकस्त दी थी। पांचवें आम चुनाव में गन्ना किसान नेता गेंदा सिंह की लोकप्रियता की लहर में विपक्षी दलों के प्रत्याशियों को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस के गेंदा सिंह ने बीकेडी के सीपीएन सिंह को 1,49,882 मतों से हराते हुए लगातार तीन बार सांसद चुने गए काशीनाथ पांडेय को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया था।
1971 कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र (तब पडरौना)
गेंदा सिंह-कांग्रेस-172153-विजेता
सीपीएन सिंह-बीकेडी-22271-उपविजेता
काशीनाथ पांडेय-एनसीओ-20352
हाटा से सिर्फ काशीनाथ ही बन सके सांसद
मौजूदा कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के पहले से लेकर चौथे आम चुनाव में रोचक पहलू भी रहा है।
पहले आम चुनाव में ही यहां तब देवरिया पूर्वी लोकसभा क्षेत्र से लहर के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गयी थी। दूसरे से चौथे आम चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की पहचान हाटा लोकसभा के रूप में थी। कांग्रेस के काशीनाथ पांडेय ने इस सीट पर लगातार 3 बार जीत दर्ज की थी।
पांचवें आम चुनाव में काशीनाथ पांडेय हार गए थे और तब इस लोकसभा क्षेत्र के नाम हाटा से पडरौना में तब्दील हो गया था। इस तरह हाटा लोकसभा क्षेत्र काशीनाथ पांडेय के नाम ही रहा।

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