मध्यप्रदेश/जबलपुर। देश में बनी धनुष तोप को जबलपुर के ऑर्डनेंस डिपो में आयोजित कार्यक्रम में आज सेना को सौंपी गई। पहली खेप में 6 धनुष तोप सेना के हवाले की गईं। गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) में स्वदेशी तकनीक से ‘धनुष’ तोप (155 एमएम/45 कैलिबर गन) को निर्मित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. अजय कुमार सचिव रक्षा उत्पादन और अध्यक्ष सौरभ कुमार महानिदेशक ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक, 1990 में बोफोर्स के बाद अब जाकर कोई बड़ी गन सेना को सौंपी जा रही है। देश में विकसित सबसे बड़ी आर्टिलरी गन धनुष में कई खूबियां हैं। 2012 में इस पर काम शुरू हुआ था। इसमें अपग्रेडेड कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाया गया है। ये तोप सेटेलाइट के जरिए न केवल दुश्मन के ठिकानों की पोजीशन हासिल कर सकती है, बल्कि खुद गोले लोड कर फायर करने में भी सक्षम है।
114 तोप का नया ऑर्डर: जीसीएफ को नए वित्तीय वर्ष के लिए 114 तोप का बल्क प्रोडक्शन आर्डर हाल ही में हासिल हुआ। इसके बाद से उत्पादन की रफ्तार भी बढ़ा दी गई। 38 किमी. दूरी तक निशाना साधने वाली इस एकमात्र तोप की तैनाती पाकिस्तान और चीन से लगी सरहद पर की जाएगी।
धनुष की शुरुआत के साथ जुलाई 2016 से जून 2018 तक धनुष के कई ट्रायल किए गए। इसके अलावा नवंबर 2012 से अब तक कुल 4599 राउण्ड फायर किए जा चुके हैं। सेना ने इसे निम्न एवं उच्च तापमान में परखा है। देश में पांच जगहों पर हुए परीक्षण में फायरिंग के परिणाम सकारात्मक आए हैं।
यह है खासियत-
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03 फायर प्रति मिनट में डेढ़ घंटे तक लगातार दागने में सक्षम।
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155 एमएम बैरल से 38 किमी दूरी तक निशाना साधने में सक्षम।
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12 फायर प्रति मिनट करने की क्षमता भी हासिल।
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46.5 किलोग्राम का गोला किया जा सकता है फायर।