बिहार: बिना मेनिफेस्टो के ही चुनाव लड़ेगी जेडीयू

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‘जनता दल (यूनाइटेड)’ पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार हैं, जो कि बिहार के मुख्यमंत्री भी हैं। फिलहाल जदयू एनडीए गठबंधन में शामिल है। समझौते के तहत पार्टी बिहार की 40 सीटों में से 17 पर चुनाव लड़ रही है। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि भाजपा के दबाव और पार्टी के भीतर मतभेदों की वजह से जदयू ने अभी तक घोषणापत्र जारी नहीं किया है।
बिहार में सभी सात चरणों में मतदान हो रहे हैं। चौथे चरण का मतदान भी सोमवार को संपन्न हो जाएगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि शायद जदयू घोषणापत्र जारी नहीं भी कर सकती है। यदि ऐसा होता है, तो शायद यह पहली बा होगा जब 2003 में पार्टी के गठन के बाद जद (यू) अपना चुनावी एजेंडा सामने नहीं लाएगी। पार्टी का‘निश्चय पत्र’ बीते 14 अप्रैल को जारी होना तय हुआ था। हालांकि,जदयू को कथित तौर पर यह चिंता हुई कि उसके घोषणापत्र से एनडीए के अभियान को झटका लग सकता है। वजह ये है कि जदयू का स्टैंड अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35ए, यूनिफॉर्म सिविल कोड और राम मंदिर पर भाजपा से अलग है।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने शनिवार (27 अप्रैल) को कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी का घोषणापत्र अगले सप्ताह जारी हो जाएगा। इस वजह से उन्होंने घोषणापत्र कमेटी के सदस्य, पार्टी महासचिव केसी त्यागी,राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन वर्मा को पटना में सोमवार को एक बैठक के लिए बुलाया था। वहीं, जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं, “लोगों को नीतीश कुमार पर विश्वास है। वे विकास और आर्थिक वृद्धि के लिए जदयू तथा एनडीए को वोट कर रहे हैं। घोषणापत्र ज्यादा मायने नहीं रखता है।”
सूत्रों के अनुसार, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर को लेकर जदयू का विचार भाजपा के विचार से अलग है। पार्टी का एक वर्ग यह महसूस करता है कि भाजपा के साथ इन मुद्दों पर अलग राय होने की वजह से चुनावी अभियान किसी प्रकार से बाधित नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अनुच्छेद 370 हटाने और राम मंदिर बनाने की वकालत कर रहे हैं। वहीं, नीतीश कुमार मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए जनता से अपील कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव समाप्त होने तक इन मतभेदों को पर्दे के पीछे रखना ही बेहतर है।

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