किसानों के खातों में डालने के बाद बैंकों ने वापस कर लिए पीएम किसान योजना के पैसे! 

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BJP की नेतृत्व वाली मोदी सरकार ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ (पीएम किसान) को ट्रंपकार्ड मानकर अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन, जमीनी हकीकत सरकार के दावे से थोड़ा हटकर है। सरकार का दावा है कि उसने 2000 की पहली किश्त मार्च महीने में ही योजना के पात्र किसानों के खाते में डाल दिए। लेकिन, एक सच्चाई यह भी है कि पैसे खाते में तो डाले गए, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही अधिकांश खातों से निकाल भी लिए गए। सबसे बड़ी बात की जब इसके कारणों को लेकर अलग-अलग माध्यमों के जरिए सवाल पूछे गए तो संतोषजनक जवाब भी नहीं मिल पाया।
‘द वायर’ ने राष्ट्रीयकृत बैंकों से इस संदर्भ में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए जानकारी मांगी। जिसमें बैंकों ने माना कि किसानों के खाते में 2000 रुपये जमा करने के बाद उन रकम को वापस भी ले लिया गया। 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत गोरखपुर से की थी। उस दौरान मोदी ने पीएम किसान योजना को देश के किसानों के हालात में सुधार लाने की दिशा में बड़ा कदम बताया था। ‘द वायर’ के मुताबिक 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, सिंडिकेट बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक ने माना कि उनके जरिए किसानों के खातों में रकम डाली गई लेकिन उसे तुरंत वापस ले लिया गया। बैंकों का इसके पीछे कारणों को लेकर अपना-अपना तर्क भी है।
दरअसल, फरवरी में पीएम किसान योजना की घोषणा के बाद ‘द हिंदू बिजनसलाइन’ ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। जिसमें बताया गया था कि महाराष्ट्र के अधिकांश किसानों के खातों में पहले 2000 रुपये डाले गए और 24 घंटे के भीतर ही उसे वापस ले लिया गया। बिजनसलाइन ने महाराष्ट्र के किसान अशोक लहामागे के हवाले से बताया था कि उनके खाते में पहले पैसे भेजे गए और फिर वापस ले लिए गए। जबकि, लहामागे पात्रता की सूची में पूरी तरह फिट बैठते हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नांदेड़ जिले में ही करीब 1000 से ज्यादा किसानों के पैसे वापस ले लिए गए। तब द हिंदू बिजनसलाइन को लहामागे ने बताया था, “रविवार (24 फरवरी,2019) से ही मैं पता लगाने में जुटा हूं कि आखिर क्या गलत हुआ है। बैंक (एसबीआई नासिक) के कर्मचारियों ने मुझे मुंबई हेडऑफिस में मेल करने के लिए कहा। लेकिन, आज की तारीख तक मुझे कोई उत्तर नहीं दिया गया।” यह शिकायत सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिली।
6 मार्च को ‘नेशनल हेराल्ड’ में छपी एक खबर में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के भी अधिकांश किसानों के खातों से पैसे निकाल लिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक 1.5 एकड़ भूमि वाले किसान ने बताया कि कैसे उसके खाते में पैसे डाले गए और तुरंत निकाल भी लिए गए। जौनपुर के 3000 से ज्यादा किसानों के खातों से पैसे निकालने का दावा रिपोर्ट में किया गया। वहीं, ‘Mirror Now’ ने भी प्रभावित किसानों से मिलकर इस मामले में एक रिपोर्ट दिखाई थी। चैनल से बातचीत में प्रभावित किसानों ने बताया था कि उनके पैसे निकाल लिए गए और इसका वाजिब कारण भी नहीं बताया गया।
‘द वायर’ ने आरटीआई के हवाले से बताया गया कि बैंकों का कहना है कि खाताधारकों के खाता संख्या या आधार संख्या में गड़बड़ी की वजह से पैसे वापस लिए गए। हालांकि, बैंकों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किसानों के बैंक अकाउंट्स को वेरिफाई करने के बाद क्या वापस पैसे उनको भेजे गए? मसलन, यूको बैंक ने आरटीआई के जवाब में बताया कि 24 फरवरी 2019 तक 2919 खातों के 58 लाख 38 हजार रुपये वापस ले लिए गए। द वायर को बैंक के सहायक महाप्रबंधक एके बरूआ ने बताया कि लाभार्थियों के अकाउंट नंबर गलत होने या उनके आधार में दिक्कत पैदा होने से पैसे वापस लिए गए। यूको बैंक ने यह नहीं बताया कि जिनके खातों से पैसे लिए गए, उन्हें ठीक करके दोबारा भेजे गए या नहीं।
आरटीआई से मिली जानकारी और बैंक अधिकारियों की सफाई संतोषजनक नहीं है। किसी के पास इसका ठोस जवाब नहीं कि जब गड़बड़ खातों से पैसे वापस लिए गए, तो क्या उन्हें ठीक करके वापस पैसे डिपॉजिट किए गए? बैंक खातों से किसानों द्वारा धन निकासी की पुष्टि भी कर रहे हैं, लेकिन वह कैसे जानते हैं कि खातों से जो धन निकाला गया वह पीएम किसान वाला ही है? क्योंकि किसान अपनी जमा धनराशि भी निकाल सकता है।

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