वाराणसी: सपा प्रत्याशी तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी रद्द, समर्थकों ने काटा बवाल

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लखनऊ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी (SP) के प्रत्याशी BSF के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दी है. ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह जानकारी सामने आ रही है.
उम्मीदवारी रद्द होने के बाद तेज बहादुर के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोक हुई है. पुलिस ने यादव के समर्थकों को कचहरी से बाहर कर दिया है.
मालूम हो कि तेज बहादुर ने 2 नामांकन दाखिल किए थे. पहला नामांकन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 24 अप्रैल को और दूसरा नामांकन समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के तौर पर 29 अप्रैल को दाखिल किया गया था. मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय ने उनको 1 मई तक जवाब देने का समय दिया था. इसके बाद यादव अपने वकील के साथ बुधवार को निर्वाचन अधिकारी को जवाब देने पहुंचे, जहां अधिकारी ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी.
तेज बहादुर के वकील ने जिला अधिकारी कार्यालय से निकलने के बाद कहा कि, “दिल्ली चुनाव आयोग से लगातार ये लोग बात कर रहें हैं. मोदी जी को डर लग रहा है, इसलिए इस तरह से किया जा रहा है. भाजपा द्वारा एक ऑबजेक्शन दायर करवाई गई.
उनकी यह मंशा है कि तेज बहादुर चुनाव ना लड़े. डीएम चाहते है कि हम फार्म भरें पर आंध्र प्रदेश से आए पर्यवेक्षक फार्म भरने नहीं दे रहे हैं. देश में अगर हिटलर शाही व्यवस्था होती है, तो वहां को आम आदमी मारा जाता है.”
तेज बहादुर यादव का नाम देश के लिए नया नहीं है. दो साल पहले उनका एक वीडियो खूब वायरल हुआ और मीडिया में चर्चा का विषय बना. इस वीडियो में तेज बहादुर यादव बतौर फौजी उस खाने की शिकायत कर रहे थे जो उन्हें ड्यूटी के दौरान मिलता था.
उस वीडियो में तेज बहादुर ने अफसरों की भी शिकायत की थी. गृहमंत्रालय तक लिखी गई उनकी चिट्ठी का कुछ नहीं हुआ तो तेज बहादुर यादव ने मोबाइल से वीडियो बनाकर वायरल कर दिया.
वीडियो फैला तो सेना से लेकर फौज पर सियासत करनेवालों तक में खलबली मची. सेना की ओर से जांच के आदेश दिए गए और अनुशासनहीनता के आरोप में तेज बहादुर यादव को ही बीएसएफ से निकाल दिया गया.
इसके बाद तेज बहादुर एक बार फिर सुर्खियों में आए जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से उम्मीदवारी का ऐलान किया था. तेज बहादुर के मुताबिक पीएम मोदी सिर्फ फौजियों की बातें करते हैं जबकि असल में उनके लिए कुछ नहीं करते.

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