यौन उत्पीड़न मामले में कमेटी के सामने पेश हुए मुख्य न्यायाधीश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस एस ए बोबडे के नेतृत्व वाले आंतरिक पैनल ने आज सीजेआई रंजन गोगोई पर कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला से संबंधित जांच को जारी रखने का निर्णय लिया. इस जांच में सीजीआई गोगोई की ओर से सहयोग की सहमति जताई गई है.
महिला के आरोपों के बाद फेयर ट्रायल के लिए चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किए गए इनहाउस पैनल में पेश हुए. इसके साथ ही जस्टिस एस ए बोबडे के नेतृत्व वाले पैनल ने सीजेआई गोगोई के पक्ष को भी सुना.
हालाकि पीड़ित महिला शामिल नहीं हुई, क्योंकि उसने मंगलवार को इस पैनल पर असंतोष जताते हुए आगे की कार्यवाही में शामिल नहीं होने की बात स्पष्ट कर दी थी. महिला ने पैनल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उसे यहां से न्याय की उम्मीद नहीं है.
याद रहे कि शिकायतकर्ता महिला ने मंगलवार को कहा था कि उसे आंतरिक समिति की कार्यवाही पर भरोसा नहीं है और वह भविष्य में इस कार्रवाई पर शामिल नहीं होगी. ऐसे में जस्टिस बोबड़े जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने तय किया कि इस मामले में एक पक्षीय सुनवाई को जारी रखा जाएगा और सीजीआई ने समिति की जांच में सहयोग पर सहमति जता दी.
महिला ने जांच पैनल पर सवाल उठाते हुए कहा कि, “मुझे लगा कि मुझे इस समिति से न्याय मिलने की संभावना नहीं है और इसलिए मैं अब न्यायाधीशों की समिति की कार्यवाही में भाग नहीं ले रही हूं”. महिला ने जांच पैनल में शामिल नहीं होने के लिए कई कारणों का हवाला दिया –
  • सुनवाई को दौरान घबराहट और भय के बावजूद शिकायतकर्ता महिला को वकील या किसी अन्य व्यक्ति के साथ रहने की अनुमति नहीं दी गई.
  • समिति की कार्यवाही का कोई वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं होना.
  • उसे 26 और 29 अप्रैल 2019 को दर्ज किए गए बयान की एक भी प्रति नहीं दी गई है.
  • इस समिति द्वारा की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में शिकायतकर्ता महिला को सूचित नहीं किया गया था.
शिकायतकर्ता द्वारा आरोप के संदर्भ में शीर्ष अदालत के 22 न्यायाधीशों को पत्र लिखने के बाद, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे (S.A. Bobde) की अगुवाई में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी (Indira Banerjee) और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा (Indu Melhotra) की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी. समिति में शुरुआत में न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना शामिल थे, जिन्होंने गुरुवार को शिकायतकर्ता द्वारा उनके समिति में शामिल होने पर सवाल उठाने के बाद खुद को समिति से अगल कर लिया था.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति रमन्ना CJI रंजन गोगोई के करीबी दोस्त हैं और इसी वजह से मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती. शिकायतकर्ता सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जूनियर कोर्ट असिस्टेंट है. उन्होंने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को एक शपथ-पत्र भेजा था. सूत्रों ने बताया कि सेक्रेटरी जनरल इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ समिति के समक्ष पेश हुये.

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