किसानों की कर्जमाफी पर भाजपा का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए: CM कमलनाथ

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भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार किसानों की कर्जमाफी और न्याय योजना पर फोकस कर चुनाव लड़ रही है। भाजपा की ओर से किसानों की कर्जमाफी को छलावा बताने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि उन्हें भाजपा के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों के साथ ही सरकार के 75 दिन के कामकाज का विस्तृत लेखा-जोखा पेश किया।
सवाल : क्या नेशनलाइज्ड बैंक कर्जमाफी को तैयार नहीं थे?
जवाब : हमने बैंकों से कहा- उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया तो किसानों का क्यों नहीं? अपनी ब्रांच भी औद्योगिक क्षेत्रों में बनाएं
सवाल : भाजपा कर्जमाफी को छलावा बता रही है। इस प्रचार का मुकाबला कैसे करेंगे?
जवाब : हमें भाजपा से सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। जनता और किसानों से समर्थन चाहिए, ताकि इस काम को आचार संहिता के बाद हम पूरा कर सकें।
सवाल : कहा जा रहा कि नेशनलाइज्ड बैंक कर्जमाफी को तैयार नहीं थे, आपने दबाव बनाया?
जवाब : यह सही है कि खाली खजाने से कर्जमाफी एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन हमने अपने वचन को ईमानदारी से निभाया है। हमने उनसे कहा- आप उद्योगपतियों का कर्ज माफ करते हैं तो किसानों का क्यों नहीं। यदि कृषि कर्ज माफ नहीं करेंगे  तो हमें लिखकर दे दीजिए। औद्योगिक क्षेत्रों में ही अपनी ब्रांच बनाएं। इसके बाद उनका पूरा सहयोग रहा।
सवाल : सरकार का फोकस कर्जमाफी पर है। सड़क, बिजली, पानी, राेजगार पर क्या कर रहे हैं?
जवाब : 75 दिन में हमने शुरुआत की है, लेकिन पूरी व्यवस्था बदलना है। टेक्नाेलॉजी बदल गई है, हमको भी बदलना होगा। अब चुनाव बाद सड़क, पानी पर काम करूंगा। हमें नए फाइनांसिंग मॉडल पर भी विचार करना होगा। कई फाइनांसिंग मॉडल्स आ गए हैं, जैसे- ज्वाइंट वेंचर, बीओटी आदि।
सवाल : भाजपा का कहना है कि लोकसभा चुनाव के एक-दो महीने बाद कांग्रेस सरकार गिर जाएगी?
जवाब : किसी को सपना देखने से मैं रोक नहीं सकता। उन्हें (भाजपा) भी अपने लोगों का मनोबल बनाकर रखना है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में कोशिश की थी, लेकिन आंकड़े सारे सामने आ गए। सरकार पांच नहीं, बल्कि दस साल चलेगी।

सवाल : भाजपा कह रही है कि कांग्रेस आ गई है। अब वो घड़ी की सुइयों को पंद्रह साल पीछे ले जा रही है। बिजली बार-बार जा रही है, सड़कों का मेंटेनेंस बंद है और सरकार के पास पैसा नहीं है तो वाे कुछ कर नहीं पाएगी?
जवाब : भाजपा ने हमें तिजोरी खाली कर दी थी। एक दिवालिया प्रदेश हमें सौंपा था। हम भी उपाय निकालना, संसाधन बनाना, ज्यादा एफिशिएंसी और मैनेजमेंट से काम करना जानते हैं।

सवाल : आप मैनेजमेंट एक्सपर्ट हंै, सरप्लस बिजली होने के बावजूद कटौती क्यों हो रही है?
जवाब : बिजली कटौती नहीं हुई। ब्रेकडाउन हुआ और इसमें 500-600 लोग जानबूझकर तार कटवाकर शार्ट सर्किट कर रहे थे। मेरा साफ आरोप है कि ये भाजपा के लोगों का काम है। मप्र में दो महीने में और बिजली सरप्लस हुई है। मैंने हर जिले से रिपोर्ट मंगवाई है, जिन्होंने निष्पक्ष काम नहीं किया, उन्हें 24 मई के बाद देखूंगा।

सवाल : कमलनाथ दबने वाले लोगों में से नहीं है चुनाव से ठीक पहले आपके करीबियों पर छापे पड़े। क्या यह आप पर दबाव बनाने की कार्रवाई है?
जवाब : केवल एक ही सहयोगी था जिसके यहां रेड पड़ी थी। ये मुझे दबाने का प्रयास कर रहे हैं पर इनको नहीं पता कि कमलनाथ दबने वाले लोगों में से नहीं है।
सवाल : मप्र में क्या मोदी फैक्टर महसूस कर रहे हैं या कांग्रेस के विकास पर भरोसा?
जवाब : मोदी की लहर नहीं, झूठ की लहर है, ये भाजपा की बेचैनी थी जो साध्वी प्रज्ञा को ले आई
सवाल : विधानसभा चुनाव में कई स्टार प्रचारक थे। सिंधिया और दिग्विजय ने सभाएं की थीं। फिलहाल सिंधिया-दिग्विजय दोनों व्यस्त हैं?आप प्रचार में अकेले पड़ गए हैं?
जवाब : सिंधिया जी और दिग्विजय जी का अपना चुनाव भी है। अजय सिंह अपना चुनाव लड़ रहे हैं। इस दृष्टि से तो मैं काफी अकेला हूं पर कोई बात नहीं। मुझे भी 40 साल चुनाव लड़ने का अनुभव है।
सवाल : विधानसभा चुनाव के बाद अब सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज क्या है?
जवाब : सरकार में काम करने के लिए हमें अभी 75 दिन ही मिले, क्योंकि लोकसभा की आचार संहिता लग गई थी। फिर भी हमने अपनी नीति और नीयत का परिचय दिया। किसानों को बढ़े हुए उत्पादन का सही मूल्य दिलाना, क्रय शक्ति बढ़ाना और न्याय दिलाना बड़ी चुनौती है।
सवाल : कितनी पब्लिक मीटिंग्स कर पाएंगे आप राज्य में?
जवाब : सौ-डेढ़ सौ तो हो जाएंगी।
सवाल : मायावती कांग्रेस से नाराज हैं, क्या उनकी समर्थन वापसी की चेतावनी को गंभीर माना जाए?
जवाब : मायावती जी और हमारा लक्ष्य एक ही है भाजपा को दूर रखना और मुझे नहीं लगता सरकार पर कोई खतरा है।
सवाल : दिग्विजय सिंह आपके आग्रह पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे हारे तो क्या उनके राजनीतिक कॅरियर पर असर पड़ेगा? आपने ऐसा रिस्क क्यों लिया?
जवाब : रिस्क की बात नहीं है। जो उचित है और जो संदेश जाना चाहिए, मैं उस पर जाता हूं। दिग्विजय जी से मैंने निवेदन किया था कि वो अपने गृहक्षेत्र से न लड़ें, वे एक कठिन सीट से लड़ें। हमने चर्चा कर डिसाइड किया कि वे भोपाल से लड़ेंगे। भोपाल इतने सालों से भाजपा का गढ़ है तो सब कार्यकर्ताओं को पूरे प्रदेश में एक संदेश गया। और मैं तो मानता हूं कि दिग्विजय जी भोपाल से जरूर जीतेंगे।
सवाल : राहुल गांधी कह चुके हैं कि व्यापमं घोटाले की जांच फिर से होगी? लेकिन कब शुरू होगी?
जवाब : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि व्यापमं की जांच सीबीआई से कराएं। हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगेे। कोर्ट ने यह तो नहीं कहा है कि कोई और जांच नहीं कर सकता, स्टेट की एजेंसी भी कर सकती है। हम इंडिपेंडेंट जांच करवा सकते हैं।
सवाल : छत्तीसगढ़ ने अपने यहां सीबीआई पर पाबंदी लगा दी है। क्या आपका भी कुछ ऐसा इरादा है?
जवाब : हमने अभी तय नहीं किया, हम सोचेंगे। उनका रुख, रवैया देखकर हम फैसला करेंगे।
सवाल : कांग्रेस ने भोपाल में राममंदिर के लिए जमीन दी है। भव्य मंदिर कब बनेगा, पैसा कहां से आएगा और इसकी प्रक्रिया क्या होगी?
जवाब : इसके लिए चर्चा करके तय करेंगे। हम चंदा नहीं करेंगे। भाजपा ने तो चंदा इकट्‌ठा कर 15 साल सरकार चलाई।
सवाल : क्या मप्र में मोदी फैक्टर महसूस कर रहे हैं या कांग्रेस के विकास के वादे पर भरोसा है?
जवाब : मध्यप्रदेश की जनता मूर्ख नहीं है। मोदी की लहर नहीं है, यह झूठ की लहर है। ये इनकी (भाजपा) बेचैनी थी, नर्वसनेस थी कि एक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को ले आए।जिसे एक दिन पूर्व भाजपा की सदस्यता दिलायी गयी।इनके पास और कोई नहीं था। कोई था तो बाबूलाल गौर, उन्हें ही फिर से लड़ा देते।
सवाल : मोदी के घेरने के प्रयास में क्या कांग्रेस  न्याय योजना का प्रचार ताकत से नहीं कर पा रही?
जवाब : न्याय योजना मोदी को घेरने के लिए नहीं है। यह हमारी सोच है।  72 हजार रु. सालाना मिलने से प्रदेश में आर्थिक गतिवविधि बढ़ेगी। जिसे 6 हजार हर महीने मिलेंगे, उसके बच्चे अच्छे स्कूल जा पाएंगे, अच्छे कपड़े पहन पाएंगे।

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