लखनऊ: 68,500 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक; योगी सरकार से मांगा जवाब

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लखनऊ। प्राथमिक शिक्षक भर्ती में धांधली का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
लेकिन, डबल बेंच ने सीबीआई जांच पर रोक लगा दी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की एसएलपी पर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
उत्तरप्रदेश में 68,500 पदों पर प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्तियां हुई थीं। इस परीक्षा में शामिल सोनिका देवी ने याचिका दायर कर परीक्षा प्रक्रिया पर आपत्तियां जताई। सुनवाई के दौरान परीक्षा नियामक प्राधिकरण इलाहाबाद से मंगवाए गए दस्तावेजों की जांच हुई। इसमें सामने आया कि अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को बदला गया है। सरकार ने जांच के लिए समिति बनाई,
जिसमें प्रमुख सचिव चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी को अध्यक्ष और सर्व शिक्षा अभियान निदेशक वेदपति मिश्रा व बेसिक शिक्षा के डायरेक्टर सर्वेंद्र विक्रम सिंह को सदस्य बनाया गया। प्राधिकरण सचिव को निलंबित किया गया। समिति ने बताया कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां में गड़बड़ियां सामने आई।
समिति की जांच के बाद दोबारा परीक्षा परिणाम जारी किए। जिसमें 23 अभ्यर्थियों को योग्य घोषित किया गया, वे पहली लिस्ट में फेल थे। वहीं 24 अभ्यर्थियों को योग्य होते हुए भी आयोग्य घोषित किया गया। एक नवंबर को हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच ने सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी। परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने अदालत में याचिका दायर करके सीबीआई जांच को बरकरार रखने की मांग की है।

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