आर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा सेना को दिए जा रहे घटिया किस्म के गोला-बारूद, ले रहे हमारे जवानों की जान

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सेना को आर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा घटिया किस्म के गोला-बारूद की सप्लाई बहुत ही गंभीर विषय है। इस प्रकरण से आर्डिनेंस फैक्ट्री स्पष्ट तौर पर सेना के जवानों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है। ये घटिया गोले-बारूद सेना के जवानों द्वारा दुश्मन पर बरसने के बजाय खुद सेना के लिए ही घातक बन गए हैं।
यह गंभीर रूप से समझने की आवश्यकता है कि इस प्रकार की घटना जो कहीं न कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा से भी खिलवाड़ है। जिसकी जिम्मेदार सेना को तमाम युद्ध उपकरणों एवं गोला-बारूद की आपूर्ति का कार्य देखने वाली सरकारी स्वामित्व की आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड है।
घटिया गोला-बारूद और युद्ध उपकरणों से बढ़ती दुर्घटनाओं पर  भारतीय सेना ने गंभीर चिंता जताई है। सेना ने बताया है कि घटिया क्वॉलिटी के गोला-बारूद के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में सैनिकों की जानें जा रही हैं, सैनिक घायल हो रहे हैं और इससे रक्षा उपकरणों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
15 पेज के अपने पेपर में सेना ने बेहद गंभीर समस्याएं सामने रखी हैं। इसमें बताया गया है कि 105 एमएम की इंडियन फील्ड गन, 105 एमएम लाइट फील्ड गन, 130 एमएम एमए1 मीडियम गन, 40 एमएम एल-70 एयर डिफेंस गन और टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक की तोपों के साथ नियमित तौर पर दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं।
सेना के टैंक, तोपों, एयर डिफेंस गन और अन्य युद्ध उपकरणों के लिए गोला-बारूद की आपूर्ति का काम सरकार के स्वामित्व वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड करती है।  सेना ने इस संबंध में रक्षा मंत्रालय से बात की है।
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वा`रा आपूर्ति किए गए गोला-बारूद के कारण दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है जिससे सेना का अपने रक्षा उपकरणों पर भरोसा कम हो रहा है। सेना ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा गोला-बारूद की गुणवत्ता में ठीक से ध्यान नहीं दिए जाने के संबंध में
रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार के समक्ष गंभीर चिंता जाहिर की है। 19 हजार करोड़ रुपयों के सालाना टर्नओवर वाले ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास गोला-बारूद बनाने वाली कुल 41 फैक्ट्रियां हैं जो 12 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना को गोला-बारूद की आपूर्ति करती हैं।
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के गोला-बारूद की गुणवत्ता में गिरावट से देश की युद्ध क्षमताओं पर गहरा असर पड़ता है। सेना की इस शिकायत पर रक्षा उत्पादन सचिव कुमार ने सेना से अपनी विभिन्न समस्याओं को प्रस्तुत करने को कहा था। इसके अलावा खराब क्वॉलिटी के गोला-बारूद के कुछ मामले 155 एमएम की बोफोर्स तोपों के मामले में भी आए हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड इस समस्या को सुलझाने के प्रति गंभीर नहीं है जिसके कारण
सेना ने कुछ  लंबी दूरी के गोला-बारूद की फायरिंग पर रोक लगा दी है। वहीं इसके साथ सेना लंबी दूरी के गोला-बारूद के परीक्षण से भी बच रही है। पिछले पांच सालों में टैंकों द्वारा दागे गए 125 एमएम उच्च विस्फोटक गोला-बारूद के 40 से अधिक हादसे हुए हैं।
इसी तरह, सेना ने फरवरी में हुई हालिया दुर्घटना के बाद एल -70 एयर डिफेंस गन द्वारा 40 एमएम उच्च विस्फोटक गोला-बारूद की सभी प्रशिक्षण फायरिंग पर रोक लगा दी है, जिसमें महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में एक अधिकारी और चार सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
हालांकि इस मामले में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने कहा कि कारखाने के गुणवत्ता नियंत्रण विभाग के साथ-साथ गुणवत्ता आश्वासन के महानिदेशालय द्वारा कड़े निरीक्षण के बाद ही गोला बारूद की आपूर्ति सेना को की जाती है। एक अधिकारी ने कहा कि यह केवल व्यापक परीक्षण पास करने के बाद जारी किया जाता है। सेना द्वारा बड़ी संख्या में गोला-बारूद के परीक्षण के दौरान कभी-कभी कुछ दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
सेना के शौर्य का निरंतर बखान करने वाली बीजेपी सरकार जिसे सेना के मुद्दों के प्रति गंभीर होना होगा जो किसी युद्ध या आकस्मिक हमले के दौरान घायल या शहीद नहीं हो रहे बल्कि आर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा सप्लाई किये जा रहे घटिया किस्म के गोला-बारूद के परीक्षण के दौरान उनके साथ यह अप्रिय घटना घट रही है।
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यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हमारे बहादुर जवान जो सीमा पर इन्ही रक्षा उपकरणों द्वारा दुश्मनों से हमारे देश की सुरक्षा करते हैं लेकिन वो सीमा पर सुरक्षा और युद्ध में दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब कैसे दे पाएंगे? जब सेना के रक्षा उपकरण उल्टे उन्ही की जान के दुश्मन बन जायेंगे।

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