जानें कैसे न्यूनतम बैलेंस न होने पर SBI आपसे GST के साथ वसूलता है पेनाल्टी

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SBI अपने ग्राहकों से सेविंग्स अकाउंट में औसत मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर पेनल्टी वसूलता है।
इसके अलावा इस पेनल्टी पर जीएसटी भी वसूली जाती है।
पेनल्टी और जीएसटी मिला कर यह पूरा भार ग्राहक पर डाला जाता है। ऐसे में जरूरी है कि
यह जान लें शहरों के हिसाब से एसबीआई के बैंक खाते के लिए न्यूनतम बैलेंस क्या है,
जिससे पेनल्टी से बचा जा सके।
बैंकों के बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान
ग्राहकों से पेनल्टी के रूप में 5 हजार करोड़ रुपये ज्यादा वसूला गया है।
इसमें भारतीय स्टेट बैंक की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।
अनुमान है कि इस 5000 करोड़ रुपये का लगभग आधा हिस्सा एसबीआई ने पेनाल्टी के रूप वसूला है।
एसबीआई शहरों के हिसाब से न्यूनतम बैलेंस की लिमिट तय करता है। अगर आपका एसबीआई सेविंग बैंक अकाउंट मेट्रो शहरों में है तो
आपको सबसे ज्यादा न्यूनतम बैलेंस रखना होगा, और ऐसा न करने पर सबसे ज्यादा पेनल्टी (Penalty) भी भरनी होगी।
मेट्रो शहरों में औसत बैलेंस 5000 रुपए होना चाहिए। अगर आपके खाते का औसत 50 फीसदी कम यानी 2500 रुपये रहता है तो
आपको 50 रुपये और जीएसटी भी चुकाना होगा। -अगर औसत 50 से 75 फीसदी के बीच है तो 75 रुपये और जीएसटी पेनल्टी के रूप में देना होगा।
अगर औसत 75 फीसदी से कम है तो 100 रुपये और जीएसटी चुकाना होगा।
अर्बन शहरों की शाखा में न्यूनतम बैलेंस की सीमा 3000 रुपये है। -अगर आपके खाते का औसत 50 फीसदी कम यानी 1500 रुपये रहता है तो
आपको 40 रुपये और जीएसटी चुकाना होगा। अगर औसत 50 से 75 फीसदी के बीच है तो 60 रुपये और जीएसटी का भुगतान पेनल्टी के साथ करना होगा।
अगर औसत 75 फीसदी से कम है तो 80 रुपये और जीएसटी का भुगतान करना होगा।
सेमी अर्बन शहरों में खाता होने पर मिनिमम अकाउं बैलेंस 2000 रुपये होना जरूरी है।
अगर आपके खाते का औसत 50 फीसदी कम यानी 1000 रुपये रहता है तो आपको 25 रुपये और जीएसटी को चुकाना होगा।
औसत 50 से 75 फीसदी के बीच है तो 50 रुपये और जीएसटी पेनाल्टी के रूप में देना होगा।
अगर औसत 75 फीसदी से कम है तो 75 रुपये और जीएसटी को चुकाना होगा।
ग्रामीण बैंकों के खातों में कम से कम 100 रुपये का औसत बैलेंस बनाए रखना जरूरी है।
अगर आपके खाते का औसत 50 फीसदी कम यानी 50 रुपये रहता है तो आपको 20 रुपये और
जीएसटी चुकाना होगा। अगर औसत 50 से 75 फीसदी के बीच है तो 30 रुपये और जीएसटी देना होगा।
अगर औसत 75 फीसदी से कम है तो 50 रुपये और जीएसटी देना होगा।

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