नतीजों से पहले चुनाव आयोग में मतभेद, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने खड़े किए कुछ सवाल

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नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के सातों चरण समाप्त हो चुके है और अब पूरे देश को नतीजों का इंतज़ार है। जो २३ मई को आ जाएंगे और
यह भी पता चल जाएगा कि कौन सी पार्टी सरकार बनायेगी?
लेकिन नतीजे आने से पहले चुनाव आयोग के भीतर मतभेदों ने अपनी जगह बना ली है।
जिससे एक हलचल सी पैदा हो गयी है। कुछ दिनों पहले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने
कुछ सवाल खड़े किए थे, जिसके बाद चुनाव आयोग की बैठक हुई।
चुनाव आयोग ने आयुक्त अशोक लवासा की आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में
पैनल के किसी सदस्य की असहमति को सार्वजनिक करने की मांग खारिज कर दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि
ऐसे मामलों में असहमति या अल्पमत के विचारों को रिकॉर्ड में रखा जाएगा,
लेकिन उन्हें फैसलों में शामिल नहीं किया जाएगा।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और
चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा की राय थी कि चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में फैसले न्यायिक नहीं होते।
ऐसे में इन फैसलों में अल्पमत की राय या फिर असहमति को आदेश में शामिल नहीं किया जा सकता।
हालांकि दोनों इस बात पर सहमत थे कि अल्पमत या असहमति के विचार को जरूर सुना जाना चाहिए,
लेकिन इसे सिर्फ रिकॉर्ड में ही रखा जा सकता है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा, ‘आरटीआई ऐक्ट के तहत
लोग चुनाव आयोग की फाइल नोटिंग्स के बारे में जान सकते हैं।
चुनाव आयोग हमेशा से पारदर्शी रहा है और आगे भी रहेगा।’

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