मुलायम को था मायावती के साथ गठबंधन पर ऐतराज! पहले ही दी थी अखिलेश को चेतावनी

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मीडिया रिपोर्ट्स के मु ताबिक मुलायम सिंह यादव को अखिलेश द्वारा मायावती के साथ गठबंधन पर ऐतराज था।
सीट बंटवारे पर उनकी खास आपत्ति थी। जिस तरह से सीटों का बंटवारा हुआ,
उस देखते हुए मुलायम को सपा के हश्र का अंदाजा हो चुका था।
उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में एक तरफ जहां गठबंधन द्वारा क्लीन स्वीप की बात कही जा रही थी।
वहीं, नतीजों के बाद बाजेपी यहां पर 62 सीट हासिल करने में कामयाब रही। जबकि, सपा-बसपा को 15 सीटें मिलीं।
गौर करने वाली बात यह है कि गठबंधन में सबसे ज्यादा हानि समाजवादी पार्टी को उटानी पड़ी।
अखिलेश यादव की पार्टी को महज 5 सीटों से संतोष करना पड़ा है, जबकि
मायावती की बीएसपी ने 10 सीटें हासिल की। चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि
मायावती को इस चुनाव में अखिलेश के मुकाबले ज्यादा लाभ हुआ।
वैसे भी बीएसपी को 2014 में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी।
अखिलेश को गठबंधन का लाभ इसलिए भी नहीं मिल पाया, क्योंकि
उनके ही परिवार के चुनाव लड़ रहे पांच सदस्यों में से तीन को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि,
सिर्फ अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव ही जीत हासिल करने में कामयाब हो पाए।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक से हार का सामना करना पड़ा।
वहीं, बदायूं से अखिलेश के भाई धर्मेंद्र यादव को भी बीजेपी उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य के हाथों हार नसीब हुई।
रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय भी फिरोजाबाद से अपना सीट नहीं बचा पाए।
यादव परिवार के एक और अहम सदस्य रामगोपाल यादव, जिन्होंने
बगावत करके अलग पार्टी ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी- लोहिया’ (पीएसपी-एल) बनाई थी, वह भी चुनाव हार गए।
चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में 37:38 का फॉर्मूला तय हुआ।
तब भी पोलिटिकल पंडितों ने बताया था कि अधिकांश कठिन सीटें अखिलेश के खाते में आईं।
उस दौरान मुलायम सिंह यादव ने हिंट दिया था कि गठबंधन समाजवादी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है।

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