सूरत की आगजनी में अपने बेटे को खोने वाले पिता ने कहा- ‘मैं पैसे देता हूं, दमकल विभाग के उपकरण खरीद लो

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गुजरात के सूरत से आगजनी की घटना ने सबके दिलों को झकझोर कर रख दिया है। सरथाना के तक्षशिला आर्केड में लगी इस भीषण आग के दौरान
बिल्डिंग में करीब 40 बच्चे फंसे थे. जानकारी के मुताबिक इस हादसे में कुछ टीचर समेत 23 लोगों की मौत हो गई है जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
ये आग इतनी तेज थी कि जान बचाने के लिए बच्चों को बिल्डिंग से छलांग लगानी पड़ी। जिस समय यह हादसा हुआ उस वक्त बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर कोचिंग क्लास चल रही थी।
मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने मृतकों के परिवार को 4-4 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है।
लेकिन हैप्पी के पिता दीपक भाई ने कहा कि ‘मुझे चार लाख रुपए नहीं चाहिए। मैं भी इतने रुपए देता हूं,
जिससे दमकल विभाग के लिए जरूरी उपकरण खरीद ले, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
दमकल दस्ता 45 मिनट देरी से पहुंचा। यहां तक आग बुझाने वाले कर्मचारी बिना सीढ़ी के ही दमकल की गाड़ियां लेकर मौके पर पहुंचे।’
दीपक भाई के बयान की क्लिप को सलमान जफर ने अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया है।
गौरतलब है कि इस घटना के बाद प्रशासन पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं और कई स्तरों पर बड़ी लापरवाही सामने आई है। आग लगने के तुरंत बाद
फायरब्रिगेड विभाग को फोन कर जानकारी दी गई थी, लेकिन विभाग को घटनास्थल तक पहुंचने में करीब पौना घंटा लग गया।
जब फायरब्रिगेड विभाग वहां पहुंचा तो उनके पास आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त साधन भी नहीं थे। इसी बीच स्थानीय लोगों ने बच्चों को बचाने का काम किया। फायरब्रिगेड की यह लापरवाही प्रशासन पर सावल खड़े करती है।
गुजरात के मुख्य सचिव जे. एन. सिंह के मुताबिक सूरत के कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में लगी आग को भड़काने का काम ज्वलनशील पदार्थ, फ्लेक्स और
टायरों की मौजूदगी ने किया। साथ ही दमकल की गाड़ियों के घटनास्थल से काफी दूर होने की वजह से आग बुझाने में काफी दिक्कतें आईं।
जे एन सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ कि उच्च ज्वलनशील सामग्री के इस्तेमाल और
कोचिंग की कक्षाओं में कुर्सी के रूप में टायरों के इस्तेमाल की वजह से आग तेजी से फैली।
उन्होंने कहा, यह एक बुरा सबक है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई शुरू करेंगे कि इस तरह की घटना कहीं दोबारा न घटे. सूरत में आग से हम बहुत दुखी हैं।”

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