कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था देवरिया

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देवरिया/रुद्रपुर। कभी देवरिया जिले को चीनी के कटोरे के नाम से जाना जाता था। आज आलम ये है कि पांच चीनी मिलों में महज एक चीनी मिल चल रही है।

चीनी का कटोरा

बता दें की देवरिया में गौरीबाजार बैतालपुर देवरिया सदर भटनी और प्रतापपुर पांच चीनी मिल चला करते थे, लेकिन
चार चीनी मिलें राजनीति के धुरंधरों के आगोश के चलते बंद हो गया।चीनी मिल बन्द होने से मिल कर्मचारी दाने दाने को मोहताज़ हो गए।
किसानों का कई करोड़ भुगतान भी बंद चीनी मिलों के मालिकों ने डकार गए। हज़ारो की संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हो गए।किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच गए।
बतादें की उत्तर प्रदेश में चाहें जो भी दल सत्ता में आयीं किसी को किसानों की कोई चिंता नही हुई। और किसी ने चीनी मिलों के प्रति ध्यान नही दिया।
गन्ना किसान अपने पर्चियों को साहूकारों के यहां बंधक रख कर अपना काम चला लेते थे,लेकिन अब तो गन्ना किसान रोना रो रहे हैं।
देवरिया जिले के सभी चीनी मिलें यहाँ के सफेदपोशों के चलते एक एक कर बन्द हो गए। देवरिया जिले में उद्योग के रूप में केवल एक चीनी मिल ही थे,
वो भी बंद हो गए ,यहां के लोंगो को मजबूर होकर दूसरे प्रदेशों को पलायन होना पड़ा।जिसके फलस्वरूप यहाँ के लोंगों को क्षेत्रवाद का दंश झेलना पड़ रहा है।
चुनाव के दौरान तो सभी सियासी दलें किसानों को सपना दिखा कर अपनी रणनीतिक रोटियां सेक लेतें हैं।और चुनाव के बाद वादों को भूल जाते हैं ,
जिससे किसान अपने ठगा महसूस करते हैं। देवरिया जिले में चीनी मिल छोड़ दिया जाय तो यहाँ कोई भी उद्योग धंधा नही है,
जहाँ बेरोजगार रोजगार की तलाश में जा सके,चीनी मिल बन्द होने से जिले को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ रहा है।

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