मोदी को ‘राष्ट्रऋषि’ उपाधि देने पर उपजा विवाद

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काशी विद्वत परिषद ने पिछले हफ्ते पीएम मोदी को राष्ट्र ऋषि (राष्ट्रीय संत) की उपाधि देने की घोषणा की।
परिषद ने इसके लिए आपात बैठक बुलाई और
प्रस्ताव भी पारित करा दिया लेकिन अब यही फैसला विवादित हो गया है।
परिषद का एक गुट इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए बवाल काट रहा है।
संगठन के महासचिव शिवजी उपाध्याय ने इस मामले में नियमों का पालन ना करने की बात कही है।
उनकी बात को खारिज करनेवाले परिषद के सचिव डॉ रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि

मोदी को राष्ट्रऋषि

फैसला नियमों के दायरे में ही लिया गया है।
द्विवेदी ने ये भी कहा कि आपात बैठक की जानकारी आरोप लगाने वाले महासचिव
शिवजी उपाध्याय समेत कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को फोन करके दी गई थी।
वह बैठक में शामिल नहीं हो सके थे. इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि
पीएम को उपाधि देने का उपाध्याय ने समर्थन भी किया था लेकिन
अब वो विरोध क्यों कर रहे हैं ये वही जानें।
काशी विद्वत परिषद के दो गुटों में बंट जाने की बातों को उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि
पीएम को उपाधि देने के मुद्दे पर अधिकांश सदस्य सहमत हैं।
अब संगठन की एक बैठक 15 जून को बुलाई गई है जिसमें कार्यकारिणी सदस्य जुटेंगे।
उपाधि देने का मुद्दा वहीं उठाया जाएगा।
आपको बता दें कि काशी विद्वत परिषद के महासचिव शिवजी उपाध्याय ने उपाधि देने के फैसले को
राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा था कि सत्ताधारी दल के प्रति झुकाव रखने वाले कुछ लोगों ने
गैर राजनीतिक सदस्यों से विमर्श किए बिना उपाधि देने की घोषणा कर डाली।
ना तो इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाई गई और ना ही
परिषद की बैठक बुलाकर प्रस्ताव ही पारित कराने की ज़रूरत समझी गई।
उपाध्याय के अलावा भी परिषद की कार्यकारिणी के कई सदस्यों ने आपात बैठक को लेकर अनभिज्ञता जताई।
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