अब सालभर में 10 लाख से ज्‍यादा कैश निकालने पर टैक्‍स? केंद्र सरकार कर रही है तैयारी

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नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार सालभर में 10 लाख रुपये से ज्‍यादा कैश निकालने वालों पर टैक्‍स लगाने की सोच रही है।
यह कदम पेपर करंसी के इस्तेमाल को कम करने, काले धन पर लगाम कसने और लेन-देन के लिए डिजिटल ट्रांजेक्‍शंस को बढ़ावा देना के लिए उठाया जा सकता है।
सरकार इस प्रस्‍ताव पर भी विचार कर रही है कि ज्‍यादा रकम निकालने पर आधार ऑथेंटिकेशन जरूरी कर दिया जाए।
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को लगता है कि इससे व्‍यक्ति को ट्रैक करने और उसके टैक्‍स रिटर्न्‍स से मिलान करने में आसानी होगी. अभी 50 हजार रुपये से ज्‍यादा की रकम जमा करने पर PAN देना अनिवार्य है।
सरकार सिर्फ आधार नंबर ही नहीं मांगेगी बल्कि OTP के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आधार नंबर का दुरुपयोग न हो।
सरकार की राय है कि अधिकतर व्‍यक्तियों और कंपनीज को सालभर में 10 लाख से ज्‍यादा की नकदी निकालने की जरूरत नहीं है।
इन सारे प्रस्‍तावों पर 5 जुलाई को पेश होने वाले बजट से पहले चर्चा हो रही है. अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है मगर सरकार इस बात पर स्‍पष्‍ट है कि
अत्यधिक अनुपालन के मध्‍य वर्ग और गरीबों पर बोझ नहीं डाला जाएगा. पिछले सप्‍ताह, RBI ने घोषणा की थी कि NEFT और RTGS ट्रांसफर्स पर बैंक कोई चार्ज नहीं वसूलेंगे। कार्ड के इस्‍तेमाल पर लगने वाला चार्ज भी खत्‍म हो सकता है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार ने 2005 में बैंक कैश ट्रांजेक्‍शन पर टैक्‍स लगाया था,
मगर विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा। 2016 में मुख्‍यमंत्रियों के एक उच्‍चस्‍तरीय पैनल ने 50,000 रुपये से ज्‍यादा नकदी निकालने पर टैक्‍स की वकालत की थी।

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