सऊदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले 10 साल के बच्चे मुर्तजा को मिलेगी मौत की सज़ा?

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मुर्तजा कुरेसिस नाम का एक लड़का जिसकी उम्र अब 18 साल है, 10 साल की उम्र में ही अरब का हीरो बन चुका था।
अरब स्प्रिंग, यानी अरब में क्रांति की चिंगारी के दौरान मुर्तजा की राजनैतिक समझ बहुत आगे थी।
2011 में मानवाधिकार की मांग के लिए मुर्तजा ने अपने 30 दोस्तों के साथ साइकिल रैली निकाली थी।
शिया परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुर्तजा की हरकतों से हुक्मरानों के माथे पर बल पड़े. उसका पीछा करना शुरू किया गया।
कई धरना प्रदर्शनों में शामिल रहने के बाद 13 साल की उम्र में उसे बहरीन के रास्ते में अरेस्ट कर लिया गया। वो तभी से पुलिस की गिरफ्त में है।
4 साल केस चलने के बाद मौत की सज़ा सुनाई गई। मुर्तजा को सबसे छोटा राजनैतिक कैदी कहा गया।
मुर्तजा की लड़ाई सऊदी रॉयल फैमिली से बढ़ती ही चली गई।
जब मुर्तजा 11 साल का था तो सऊदी पुलिस ने उसके भाई की हत्या कर दी थी।
उसके जनाज़े के बारे में कहा गया कि ये रॉयल फैमिली के खिलाफ मार्च निकाला जा रहा है।

https://twitter.com/amnestyusa/status/1138221304803397632?s=19

जिस प्रोटेस्ट ग्रुप के साथ मुर्तजा के पिता और भाई जुड़े हुए थे उसको आतंकवादी संगठन कहा गया।
तकरीबन पांच साल से जेल में बंद मुर्तजा पर अब मौत की सज़ा का खतरा मंडरा रहा है।
सज़ा के बाद शव को सूली पर चढ़ाने की योजना है. खबरों के मुताबिक टेरर कोर्ट में मुर्तजा का केस चल रहा है।
मुर्तजा पर आरोप ये है कि अरब के शहर अवामिया में अपने भाई के साथ एक पुलिस स्टेशन पर पेट्रोल बम फेंका।
इसके अलावा मुर्तजा पर आतंकी संगठन का हिस्सा होने, पेट्रोल बम बनाने, पुलिस पर गोली चलाने के भी आरोप हैं।
सऊदी अरब के कानून में इन अपराधों के लिए मौत की सज़ा है।
वहां सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना गैर कानूनी है।
मुर्तजा कुरेसिस का सपोर्ट करने के लिए एमनेस्टी और रिप्रीव जैसे मानवाधिकार संगठन सामने आए हैं।
सऊदी अरब सरकार की घोर निंदा की जा रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि
अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक 18 साल से कम उम्र में किए गए अपराधों में मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है।

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