छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा और दंतेवाड़ा की बैलाडीला पहाड़ी। इस पहाड़ी क्षेत्र पर दो चीज़ें हैं।
लौह अयस्क के भंडार और आदिवासियों के ईष्ट देवता की पत्नी वाली मान्यता।
आदिवासियों का दावा है कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने यहां की एक पहाड़ी ‘डिपाजिट 13’ अडानी ग्रुप को खनन के लिए सौंपी है। इस खनन में एक लाख से ऊपर पेड़ काटने की योजना है।
खनन का विरोध करने के लिए आदिवासी बीते शुक्रवार से किरंदुल थाना क्षेत्र के एनडीएमसी की खदान के सामने धरने पर बैठे हुए हैं।
ये लगभग 40 से 50 किमी का सफर पैदल तय कर बैलाडीला पहुंच रहे हैं। सर पर राशन रखकर अडानी समूह को मिले खदान का विरोध करने आ रहे क्योंकि वहां अब लगभग लाख से ऊपर पेड़ काटे जाएंगे @hridayeshjoshi @rahulpandita @PMOIndia @bhupeshbaghel @ChhattisgarhCMO pic.twitter.com/knuARjVuW2
— Ranu Tiwari (@ranutiwari_17) June 6, 2019
आदिवासियों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए नए सांसद दीपक बैज, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और कांग्रेस के कुछ नेता वहां पहुंचे।
सभी ने आदिवासियों की आस्था से खिलवाड़ न करने की चेतावनी देते हुए सड़क से संसद तक लड़ने का ऐलान किया।
संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति ने मंगलवार से बचेली में काम बंद करने की घोषणा कर दी।
इस पूरे मामले पर आंदोलन के साथ ही जमकर राजनीति हो रही है।
आंदोलन से स्थिति न बिगड़े इसके लिए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है और एनडीएमसी दफ्तर का सुरक्षा घेरा मजबूत कर दिया गया है।
दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि इस प्रदर्शन के लिए प्रशासन से परमिशन नहीं ली गई है।
हर किसी को विरोध करने का अधिकार है इसलिए कोई एक्शन नहीं लिया गया है लेकिन अगर प्रदर्शनकारी कानून से खिलवाड़ करेंगे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आंदोलन को नक्सल समूहों का समर्थन भी मिला है और उन्होंने भी बैनर पोस्टर लगाए हैं एसपी अभिषेक पल्लव ने
इस आंदोलन को नक्सल प्रायोजित आंदोलन बताया है। आंदोलन का समर्थन महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा और
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कर रहे हैं। इनके बारे में एसपी पल्लव का कहना है कि ये नक्सल समर्थक नहीं हैं लेकिन
नक्सली इन्हें जबरदस्ती यहां भेज रहे हैं। नेता होने की वजह से इन्हें गांव वालों के पास आना पड़ता है।
द वायर की खबर के मुताबिक खनन के लिए तैयार कंपनी एनसीएल के एक अधिकारी वीएस प्रभाकर का कहना है कि
खनन से आदिवासियों के पवित्र स्थान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि पेड़ काटने की हमने कोई अनुमति नहीं दी, ये पिछली सरकार ने 2018 में ही दे दी थी।
मैंने अधिकारियों से कहा है कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों को उनके हक़ की ज़मीन सौंप देनी चाहिए। उन्होंने सदियों से जंगल को बचाकर रखा है। वे जंगल को बचा सकते हैं आप नहीं।
वनाधिकार क़ानून को पिछले 13 साल में ठीक तरह से लागू नहीं किया गया। हम करेंगे।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 8, 2019