सुमित्रा महाजन ने रेलगाड़ी में ‘मसाज’ को लेकर उठाए सवाल, स्थानीय सांसद ने किया विरोध

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इंदौर। रेल यात्रियों के लिए शुरू होनी वाली मसाज सुविधा के बारे में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रेलमंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है।
इससे पहले मध्य प्रदेश के शहर इंदौर से बीजेपी सांसद शंकर लालवानी ने रेलमंत्री  पीयूष गोयल को पत्र में लिखा था इस तरह की स्‍तरहीन व्‍यवस्‍थाओं का मेरे मत में कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है।
1. क्या वास्तव में रतलाम रेल मंडल द्वारा यात्रियों के लिए चलती रेल गाड़ी में कोई मसाज की सुविधा कराई जाने वाली है.? क्या इस नीतिगत निर्णय को मंत्रालय की स्वीकृति है.?
2. इस प्रकार की सुविधा के लिए चलती रेलगाड़ी में किस तरह व्यवस्था की जाएगी, क्योंकि इसमें यात्रियों विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा एवं सहजता के संबंध में कुछ प्रश्न हो सकते हैं.?
3. क्या इंदौर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मसाज पार्लर खोले जाने का भी कोई प्रस्ताव है.?
4. यदि लंबी दूरी की ट्रेनों में एसी कोई सुविधा उपलब्ध होने जा रही है, तो उसकी दर, अवधि इत्यादि क्या होगी.?
रतलाम डिवीजन ने 7 जून को यात्रियों को सिर और पैरों की मसाज की सुविधा प्रदान करने के लिए एक आदेश जारी किए थे।
इसके तहत इंदौर रेलवे स्टेशन से निकलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों को सिर और पैरों की मालिश की सुविधा प्रदान की जा रही है. प्रत्येक ट्रेन में लगभग तीन-से-पांच मालिशकर्ता होंगे, जिन्हें अनुबंध पर रखा जाएगा.
रेलवे का दावा है कि उसे इस पहल से सालाना 20 लाख रुपये की मदद मिलेगी. यह राशि रेलवे को टिकटों की बिक्री से प्रति वर्ष आने वाली 90 लाख रुपये की कमाई के अतिरिक्त होगी. जिन ट्रेनों में यह सेवा प्रदान की गई है,
उनमें मालवा एक्सप्रेस, इंदौर-लिंगमपल्ली हमसफर एक्सप्रेस, अवंतिका एक्सप्रेस, इंदौर-वेरावल महामना एक्सप्रेस, क्षिप्रा एक्सप्रेस, नर्मदा एक्सप्रेस, अहिल्या नगरी एक्सप्रेस, पंचवली एक्सप्रेस, इंदौर-पुणे एक्सप्रेस शामिल हैं।
स्‍थानीय सांसद शंकर लालवानी ने रेलवे के इस कदम का विरोध किया है।
उन्‍होंने रेलमंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी में लिखा है कि ‘यह सेवा भारतीय संस्‍कृति के मानकों के अनुरूप नहीं है और इसे बंद किया जाए।’
इंदौर सांसद ने गोयल को लिखी चिट्ठी में उम्‍मीद जताई है कि वह ‘जनमानस की भावनाओं’ पर विचार कर ‘योग्‍य निर्णय’ लेंगे।
लालवानी ने अपने पत्र में कहा, “मुझे आश्‍चर्य है कि चलती गाड़‍ियों में अन्‍य यात्री विशेषकर महिलाओं के समक्ष इस प्रकार की सुविधा उपलब्‍ध कराना भारतीय संस्‍कृति के मानकों के अनुरूप होगा क्‍या?
यात्रियों को मेडिकल सुविधा, डॉक्‍टर की उपलब्‍धता आदि अन्‍य आवश्‍यक सेवाओं के स्‍थान पर इस तरह की स्‍तरहीन व्‍यवस्‍थाओं का मेरे मत में कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है।”

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