चुनाव में हार के बाद अखिलेश ने मुझसे नहीं की बात, उपचुनाव में BSP दिखाएगी ताकत: मायावती
पहली बार बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला बोला। रविवार (23 जून) को हुई पार्टी बैठक में मायावती ने कहा कि मैंने मतगणना के दिन (23 जून) अखिलेश यादव को कॉल किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जब पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया तो अखिलेश यादव ने बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्र को बुलाया, लेकिन मुझसे बात नहीं की।
बता दें कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने रविवार को अपने पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं, विधायकों व सांसदों के साथ मीटिंग की थी, जिस दौरान उन्होंने यह बयान दिया। इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि मीटिंग में मायावती ने करीब 25 मिनट तक समाजवादी पार्टी और लोकसभा चुनाव 2019 में उनके साथ हुए गठबंधन पर बातचीत की।
पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, ‘‘मैंने चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद अखिलेश यादव को कॉल की थी, लेकिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की। उन्हें मुझे बताना चाहिए था कि मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहां उनका समर्थन नहीं किया।
सतीश चंद्र मिश्रा ने अखिलेश यादव से मुझसे बात करने के लिए कहा, फिर भी उन्होंने ऐसा नहीं किया। मैंने वरिष्ठ होने के नाते अपनी जिम्मेदारी निभाई और मतगणना के दिन उन्हें कॉल की। जब 3 जून को हमने गठबंधन तोड़ने का फैसला किया, तब अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को बुलाया, लेकिन मुझसे बात नहीं की।’’
सपा पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा, ‘‘10 लोकसभा सीटों पर बीएसपी की जीत के लिए सपा कार्यकर्ता खुद को क्रेडिट दे रहे हैं, लेकिन सच यह है कि अगर सपा 5 सीटें जीत पाई है तो उसकी वजह हमारी पार्टी का समर्थन है।’’
मीटिंग में मायावती ने सपा नेता व कार्यकर्ताओं पर धोखा देने व बीएसपी को हराने के लिए काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस बारे में भी अखिलेश यादव को जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
मायावती ने कहा, ‘‘अखिलेश यादव ने मुझसे मुस्लिमों को टिकट नहीं देने के लिए कहा था और धार्मिक ध्रुवीकरण होने की बात कही थी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं हुई। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे,
तब गैर-दलित लोगों के साथ अन्याय हुआ था। इस वजह से उन्होंने सपा को वोट नहीं दिया। वहीं, सपा ने दलितों के प्रमोशन के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसके चलते उन्हें दलितों के वोट भी नहीं मिले।’’