लखनऊ: गोमती नदी में प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने योगी सरकार को दी कड़ी चेतावनी कहा- गारंटी के लिए जमा कराए 100 करोड़ रुपए

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लखनऊ। गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की अनुश्रवण समिति ने गोमती नदी की सफाई को लेकर सूबे की योगी सरकार को कड़ी चेतावनी दी है।
एनजीटी ने कहा है कि योगी सरकार गोमती नदी की सफाई और एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की गारंटी के लिए 100 करोड़ रुपए का फंड जमा कराए।
अनुश्रवण समिति के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने एनजीटी को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गोमती नदी के अभी तक स्वच्छ न हो पाने के पीछे राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार है।
जिसकी वजह से मुख्य सचिव और अन्य जिम्मेदार अधिकारी संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में असफल रहे हैं।

नदियों एवं जलाशयों के प्रबंधन को बनी अनुश्रवण समिति ने यह सिफारिश पिछले दिनों सचिव व पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह, एडवोकेट कमिश्नर चेतनरायन सिंह और
यूपीपीसीबी व सीपीसीबी के अधिकारियों के अलग-अलग निरीक्षण के बाद मिली आख्या के आकलन के बाद की है।
समिति की रिपोर्ट में बढ़ते प्रदूषण के लिए नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी जिम्मेदार बताया गया है।
यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर 6.84 करोड़ और नगर निगम पर 5 करोड़, जल निगम पर 3 करोड़ जुर्माने की भी सिफारिश की गई है।
गोमती नदी के बहाव वाले 10 जिलों में भी नगर निगम और नगर पालिकाओं पर 1-1 करोड़ रुपये जुर्माने की सिफारिश एनजीटी से की गई है।
अनुश्रवण समिति राजधानी लखनऊ के अलग-अलग जगहों पर नदी से पानी के नमूने लेकर जांच कराई, जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा शून्य के करीब मिली, जो खतरनाक है।
अनुश्रवण समिति के सचिव राजेंद्र सिंह का कहना है कि 100 करोड़ का फंड प्रमुख सचिव वित्त अनुपालन गारंटी के रूप में जमा कराना सुनिश्चित कराएंगे।
अगर दो साल में सभी नाले बिना शोधन के नदी में गिरना बंद न हुए तो पर्यावरणीय हर्जाने के रूप में इस राशि को जब्त कर लिया जाएगा।
अनुश्रवण समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोमती में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि इसमें नहाना तो दूर, इसके आसपास सैर करना भी खतरनाक है।
खास तौर पर सुबह नदी किनारे सैर से दूरी बनाएं, यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

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