फेसबुक पहली बार उन लोगों का डेटा कोर्ट को देगा, जो अपने बयानों से नफरत फैलाते हैं

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फ्रांस/पेरिस। फेसबुक पहली बार उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने पर तैयार हुआ है, जो
उसके प्लेटफार्म से हेट स्पीच देकर माहौल को बिगाड़ने का काम करते हैं।
कंपनी उन लोगों का नाम भी सामने लाने पर भी सहमत है, जो ऑनलाइन अफवाहें फैलाते हैं।
अमेरिका और फ्रांस की सरकारों के बीच जो समझौता है, उसके हिसाब से फेसबुक डेटा देने के लिए बाध्य नहीं है।
फ्रांस के डिजिटल अफेयर्स मंत्री केडरिक ओ का कहना है कि राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जकरबर्ग की बैठक के बाद यह फैसला हुआ है।
केडरिक का कहना है कि यह एक बड़ी खबर है, क्योंकि इससे फ्रांस की कानून व्यवस्था को मदद मिलेगी। फ्रांस काकोर्ट आतंकऔर घृणा फैलाने वाले कई मामलों की सुनवाई कर रहाहै।
कोर्ट ने ही सोशल मीडिया कंपनी से ऐसे लोगों का डेटा मांगा था, जो उसके प्लेटफार्म के जरिए माहौल खराब करने का काम करते हैं।
लॉ फर्म लिंकलेटर्स की एडवोकेट सोनिया सिसेका कहना है कि रेगुलेशन के मामले में यह बड़ा और विश्व का पहला फैसला है। उनका कहना है कि
हेट स्पीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। आतंकवाद की तरह यह भी एक गंभीर अपराध है। अब अन्य सोशल मीडिया कंपनियों को भी इस तरह का डेटा देना होगा, नहीं तो उनके खिलाफ केस दायर होंगे।
फ्रांस लंबे अर्से से सोशल मीडिया कंपनियों को रेगुलेट करने की वकालत करता आ रहा है। वहां की संसद ऐसे कानून पर भी विचार कर रही है,
जिसमें नियमों की अवहेलना पर सोशल मीडिया कंपनी पर उसकी कुल वैश्विक आय का 4% जुर्माना लगाया जा सके।

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