मनमोहन सिंह के राज्यसभा पहुंचने के लिए कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं, अब दूसरा रास्ता तलाश रही कांग्रेस

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मनमोहन सिंह के राज्यसभा पहुंचने के रास्ते में पेच फंस गया है। दरअसल, मनमोहन के लिए तमिलनाडु से राज्यसभा सीट पर कांग्रेस और उसके सहयोगी डीएमके के बीच सहमति न बन पाने की वजह से ऐसा हुआ है। असम, गुजरात, तमिलनाडु के बाद अब कांग्रेस की नजर राजस्थान के जरिए मनमोहन को राज्यसभा भेजने पर टिकी है।
बता दें कि डीएमके ने मंगलवार को तमिलनाडु की 3 राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। डीएमके ने एक सीट सहयोगी एमडीएमके के वायको को दिया है। तमिलनाडु की सत्ताधारी एआईएडीएमके और विपक्षी पार्टी डीएमके के पास तीन-तीन राज्यसभा सीटें जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल है।
इससे पहले तक यह खबर आ रही थी कि डीएमके के अगुआ स्टालिन अपने हिस्से की एक सीट मनमोहन के लिए देने को तैयार थे। स्टालिन पूर्व में कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को पीएम कैंडिडेट के तौर पर भी समर्थन दे चुके हैं। अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि डीएमके का मूड बदलने की एक मुख्य वजह है कि
राहुल या उनकी मां सोनिया गांधी में से किसी ने भी स्टालिन से सीधे संपर्क नहीं किया। उनकी जगह कांग्रेस नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद ने समकक्ष डीएमके नेताओं से इस बारे में बात की थी। बताया जा रहा है कि इसकी वजह से डीएमके लीडरशिप नाखुश थी। दो बार यूपीए सरकार की अगुआई कर चुके मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा सदस्य थे। अब वहां से मनमोहन को दोबारा चुनने के लिए कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
कांग्रेस ने कथित तौर पर पूर्व पीएम को गुजरात से नॉमिनेट करने का फैसला किया था, जहां राज्यसभा की दो सीटें खाली थीं। अमित शाह और स्मृति ईरानी के आम चुनाव में जीतने की वजह से ये दो सीटें खाली हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक, इन दो सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की दरख्वास्त खारिज होने के बाद कांग्रेस ने मनमोहन को गुजरात से सदन में भेजने का फैसला बदल दिया।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की दलील थी कि अगर दोनों सीटों पर अलग अलग चुनाव होंगे तो बीजेपी संख्याबल के आधार पर दोनों पर ही जीत जाएगी। वहीं, अगर दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव होते तो कांग्रेस एक सीट जीत सकती थी। चुनाव आयोग के दोनों सीटों पर अलग चुनाव कराने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
खबर के मुताबिक, कांग्रेस अब मनमोहन सिंह को राजस्थान से नॉमिनेट करने पर विचार कर रही है। दरअसल, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे मदन लाल सैनी की जून में हुई मौत के बाद यहां राज्यसभा की एक सीट खाली हुई थी। उनका कार्यकाल 2024 तक था। पिछले साल दिसंबर में हुई चुनाव में कांग्रेस राजस्थान की सत्ता पर काबिज हुई है। उसे यहां से राज्यसभा चुनाव में जीत पर पूरा भरोसा है।

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