अनुदेशकों का मानदेय घटाना गैरकानूनी, मानदेय 17 हजार ही रहेगा; 9% ब्याज के साथ एरियर भी दें: हाईकोर्ट

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प्रदेश के परिषदीय जूनियर विद्यालयों में कार्यरत तीस हजार से ऊपर अनुदेशकों को बड़ी राहत देते हुए
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उनके मानदेय को घटाने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है।
अदालत ने कहा है कि अनुदेशकों का मानदेय 17 हजार रुपये ही रहेगा।
मानदेय को लेकर सरकार के फैसले को प्रताड़ित करने वाला मानते हुए अदालत ने
उन्हें दिए जाने वाले एरियर का नौ फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने याचिकाओं में पक्षकार बनाए गए मुख्य सचिव व सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को आदेश दिया कि
वे अनुदेशकों को मार्च 2017 से अब तक की अवधि का, बढ़ाए गए मासिक मानदेय (17,000 रुपये) के एरियर का भुगतान करें।
अनुदेशकों को 17,000 प्रतिमाह दिए जाने के प्रस्ताव पर केंद्र की सहमति होने के बाद भी
राज्य सरकार कार्यकारी समिति ने 2 जनवरी, 2018 को मानदेय घटाकर 9,800 रुपये प्रति माह करने का फैसला किया था।
प्रदेश के परिषदीय जूनियर विद्यालयों में कार्यरत तीस हजार से ऊपर अनुदेशकों का मानदेय 17000 बरकरार रखते हुए
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि राज्य की कार्यकारी समिति को मानदेय घटाने का कोई अधिकार नहीं है।

अनुराग व अन्य तथा अमित वर्मा व अन्य की दो अलग याचिकाओं पर अपने फैसले में अदालत ने कहा कि

कानून की निगाह में सरकार का यह फैसला गैरकानूनी है और
उसे वैधानिक प्रावधान के ऊपर अपना फैसला सुनाने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार के आदेश खारिज किए जाते हैं।

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा कि याचियों को 9,800 मासिक मानदेय का भी भुगतान नहीं किया गया बल्कि

उन्हें 8,470 रुपये मासिक दिया जा रहा था। सरकार की इस कार्यवाही को अदालत याचियों को प्रताड़ित करने वाला मानती है और
बढ़ाए गए मानदेय के मुताबिक उन्हें मिलने वाले एरियर को नौ फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करे जाने का आदेश देती है।

प्रदेश पूर्व माध्यमिक अनुदेशक कल्याण समिति के अध्यक्ष राकेश पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को

मानदेय घटाकर 9800 रुपये कर दिया पर इसके बाद भी सिर्फ 8,470 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा था। दिसंबर 2018 के बाद तो कोई भुगतान भी नहीं किया गया।
यह है मामला
  • 2013 में प्रदेश के परिषदीय जूनियर विद्यालयों में कक्षा छह से आठ तक के लिए कुल 41,307 पद घोषित हुए थे। अनुदेशकों का चयन तीन श्रेणियों (शारीरिक शिक्षा अनुदेशक, कला शिक्षा अनुदेशक व कंप्यूटर/कृषि शिक्षा अनुदेशक) में किया जाना था और तीनों ही श्रेणियों में 13,769 पद प्रति श्रेणी पर चयन होना था।
  • इन अनुदेशकों के लिए प्रारंभ में सात हजार रुपये मासिक मानदेय तय हुआ था। वर्ष 2016-17 में इसमें 1,470 रुपये की वृद्धि कर इसे 8,470 रुपये प्रति माह कर दिया गया।
  • 2017-18 में राज्य सरकार ने अनुदेशकों का मानदेय 17 हजार रुपये करने का प्रस्ताव केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जिसे प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में मंजूरी दे दी गई।
  • परंतु केंद्र की मंजूरी के बाद राज्य कार्यकारी समिति की बैठक में इसमें संशोधन करते हुए 17 हजार के स्थान पर 9,800 रुपये मासिक कर दिया।
  • सरकार के फैसले को दो अलग याचिकाओं के जरिये हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी गई जिस पर न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया।

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